करैरा के बगीचा वाले हनुमान धाम में जले 21,000 दीप: अद्वितीय भक्ति, अद्भुत दृश्यजैसे धरा पर उतरी हो मिनी अयोध्या
करैरा। रविवार की सांझ जब सूर्य पश्चिम की ओर ढल रहा था, तब करैरा नगर में स्थित बगीचा वाले हनुमान जी के धाम में एक नया सूरज उग रहा था भक्ति, प्रकाश और आस्था का सूरज।
21,000 दीपों की लौ से आलोकित यह पावन धाम न केवल रोशनी से जगमगा उठा, बल्कि श्रद्धा की ऊष्मा से भी तपने लगा। यह कोई साधारण आयोजन नहीं था यह था धार्मिक आस्था, संस्कृति और सामूहिक संकल्प का दीपोत्सव, जिसने करैरा को उस रात ‘मिनी अयोध्या’ बना दिया।
दीप प्रज्वलन से पूर्व जैसे ही बगीचा धाम में शंखनाद हुआ, चारों ओर एक दिव्य कंपन फैल गया। हनुमान जी की विशाल प्रतिमा के चरणों में बैठे साधु-संतों, युवा स्वयंसेवकों और श्रद्धालुओं ने एक स्वर में ॐ हनुमते नमः का उच्चारण किया और फिर शुरू हुआ वह दृश्य, जिसे देखने के लिए शायद देवता भी आकाश से उतर आए हों।
एक-एक दीप जलाया गया श्रद्धा से, संकल्प के साथ। दीपों की रेखाएं मंदिर के गर्भगृह से लेकर मुख्य द्वार तक, वृक्षों से लेकर मठ की दीवारों तक फैलीं तो लगा मानो प्रभु श्रीराम का पूरा दरबार रोशनी की चादर ओढ़ चुका हो।
दीपोत्सव के उपरांत हुआ भव्य प्रवचन, जिसमें वक्ताओं ने हनुमान जी की भक्ति, अयोध्या के श्रीराम मंदिर का महत्व और दीपों के प्रतीकात्मक संदेश पर प्रकाश डाला।
श्रोताओं की आंखें नम थीं और हृदय प्रभु की भक्ति से भर उठा था। जैसे ही प्रवचन समाप्त हुआ, भक्तों ने मिलकर भजन और सुंदरकांड पाठ से वातावरण को और भी दिव्य बना दिया।
दूर-दराज़ से आए हज़ारों श्रद्धालुओं ने आयोजन में हिस्सा लिया। किसी ने दीप दान किया, किसी ने सेवा; लेकिन हर किसी ने अपनी उपस्थिति से यह प्रमाणित कर दिया कि बगीचा वाले हनुमान केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि जीवित आस्था हैं।
यह आयोजन केवल दीपों का उत्सव नहीं था, यह था करैरा की आत्मा का जागरण।
बुज़ुर्गों की आंखों में संतोष था, युवाओं के चेहरे पर गर्व, बच्चों के चेहरों पर जिज्ञासा और माताओं के हाथों में पूजा की थालियां।
शहर की हर गली, हर कोना उस रात राम और हनुमान के नाम से गूंज उठा।
जहाँ दीप जलते हैं वहां अंधकार नहीं टिकता, और जहाँ बगीचा वाले हनुमान का वास है, वहां असंभव कुछ भी नहीं!
????️????️????????दीपक परमार करैरा संवाददाता*** ????️

