कैबिनेट सचिव के बराबर होगा चुनाव आयुक्त का कद, बिल में है तैयारी

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नई दिल्ली। 18 सितंबर से संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है। इससे पहले एक विधेयक को लेकर गहमागहमी शुरू हो चुकी है। सराकर ने जिन मुद्दों को चर्चा करने और पारित कराने के लिए चुनाव किया है उनमें मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक 2023 भी शामिल है। इसे इसी साल 10 अगस्त को राज्यसभा में पेश किया गया था। यह विधेयक मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और दो चुनाव आयुक्तों के वेतन, भत्ता और सेवा शर्तों में संशोधन का प्रस्ताव करता है। फिलहाल उन्हें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के समान वेतन और अन्य सुविधाएं मिलते हैं। 
सरकार जो संशोधन जा रही है उसमें इन्हें कैबिनेट सचिव के समान सुविधाएं मिल सकते हैं। इसमें वित्तीय घाटा नहीं है, लेकिन बेचैनी इस बात की है कि चुनाव आयुक्तों को नौकरशाही के साथ मिलाकर संभावित रूप से उनके हाथ बांधा जा सकता हैं। उनके कथित अधिकार को खत्म किया जा सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट सचिव के बराबर देखे जाने का मतलब है कि आपका कद केंद्र सरकार के राज्य मंत्री से भी नीचे होगा। ऐसे में जब चुनाव आयोग के द्वारा चुनाव के दौरान उल्लंघनों के लिए एक केंद्रीय मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की कोशिश की जाएगी तब इसका असर दिख सकता है।

 साभार लाइव हिन्दुस्तान

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