भाजपा प्रत्याशी डॉ. मोहन यादव ने स्नान कर की शिप्रा की सफाई, कांग्रेस बता रही नेताजी की नौटंकी
उज्जैन। उज्जैन दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रत्याशी बनाए गए डॉ. मोहन यादव का एक वीडियो इन दिनों जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें वे पहले मां शिप्रा मे स्नान और उसके बाद घाट पर फैली गंदगी की सफाई करते नजर आ रहे हैं। इस दौरान उनके साथ कुछ कार्यकर्ता भी हाथ बंटाते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस वायरल वीडियो को लेकर वैसे तो डॉ. मोहन यादव की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन कांग्रेस जरूर इन सबको नेताजी की नौटंकी बता रही है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा डॉ. मोहन यादव का यह वीडियो नृसिंह घाट का बताया जा रहा है, जिसमें डॉ. मोहन यादव पहले शिप्रा में डुबकी लगाकर स्नान करते हैं। उसके बाद यहां फैली गंदगी को साफ कर रहे हैं। उनके इस वायरल वीडियो को लेकर कांग्रेस नेता चेतन यादव का कहना है कि यह सब कुछ बस नेताजी की नौटंकी है। शासन प्रशासन और खुद मंत्री होने के बावजूद भी आपने शिप्रा शुद्धिकरण की और कोई ध्यान नहीं दिया और अब चुनाव आते ही डॉ. मोहन यादव फिर इस प्रकार की नौटंकी कर रहे हैं जो कि गलत है। उन्होंने कहा कि जिम्मेदार लोगों द्वारा इस प्रकार की नौटंकी करना बहुत दुखद है। हमारा लोकतंत्र व संविधान बेहतर तरीके से कार्य करने के लिए है अभिनय करने के लिए नहीं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी को ड्रामा करना सिखा दिया है।
वहीं, मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री अजीत सिंह ठाकुर ने बताया कि 20 साल से मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार है। वर्तमान में केंद्र में भाजपा प्रदेश में भाजपा नगर में भाजपा लेकिन इसके बावजूद भी मां शिप्रा की दुर्दशा आज किसी से छिपी नहीं है। अब तक करोड़ों रुपए डायवर्सन के नाम पर प्रदेश सरकार डकार चुकी है, लेकिन फिर भी मां शिप्रा की हालत यह है कि यहां का पानी आचमन करने के योग्य भी नहीं है। वर्षों से शिप्रा शुद्धिकरण के नाम पर नौटंकी हो रही है लेकिन हुआ कुछ नहीं। डॉ. मोहन यादव पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि वह सिर्फ धर्म की आड़ में लोगों को बरगला रहे हैं और वोट के लिए मां शिप्रा का उपयोग कर रहे हैं। वह तो खुद ही वर्ष में एक बार शिप्रा की परिक्रमा करने का दिखावा करते हैं तो क्या उन्हें मां शिप्रा की यह दुर्दशा कभी दिखाई नहीं देती। मंत्री रहते हुए उन्हें मां शिप्रा को शुद्ध करने का काम करना था लेकिन आचार संहिता लगने के पहले तक तो उन्होंने मां शिप्रा को शुद्ध करने के लिए कोई कार्य नहीं किया और अब शिप्रा में स्नान करने के बाद यहां की सफाई करने की नौटंकी कर रहे हैं इनकी नियति और नियत साफ नहीं है यह सिर्फ ढोंग कर रहे हैं।
साभार अमर उजाला