तीनों राज्यों में कांग्रेस से काफी आगे भाजपा

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नई दिल्ली। तीन राज्यों के रुझान लगभग-लगभग वैसी ही तस्वीर पेश कर रहे हैं, जिसका अनुमान एग्जिट पोल्स और राजनीतिक विश्लेषकों ने लगाया था। सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही अनुमान पलटते हुए दिखाई दे रहे हैं। सबसे पहले बात मध्य प्रदेश की। सुबह आठ बजे जब मतगणना की शुरुआत हुई तो भाजपा के मुकाबले कांग्रेस एक सीट से आगे थी, लेकिन सुबह साढ़े नौ बजे तक यहां तस्वीर पलट गई और भाजपा बहुमत के आंकड़े को पार कर गई। राजस्थान में भी ऐसा ही था। कांग्रेस ने शुरुआत तो बढ़त के साथ की, लेकिन मतगणना शुरू होने के 15 मिनट बाद ही वह भाजपा से पिछड़ गई। डेढ़ घंटे बाद कांग्रेस के मुकाबले भाजपा तकरीबन 20 सीटों से आगे हो गई। 
छत्तीसगढ़ में शुरुआती 90 मिनट के रुझानों में कांग्रेस भाजपा से आगे रही, लेकिन 91वें मिनट से मामला बराबरी पर आ गया और अब पार्टी कहीं आगे दिख रही है। उधर, तेलंगाना में बीआरएस शुरुआत से ही पीछे रही और कांग्रेस मजबूती के साथ बहुमत के आंकड़ों से आगे निकल गई। जब शुरुआती ढाई घंटे के रुझानों में तस्वीर काफी साफ हो चुकी है तो सवाल उठ रहा है कि अब राज्यों में क्या समीकरण बन रहे हैं और आगे क्या होने जा रहा है?
सबसे पहले उन तीन राज्यों के बारे में जानिए जहां भाजपा ने मुख्यमंत्री पद का कोई उम्मीदवार घोषित नहीं किया और कांग्रेस की तरफ से चेहरे स्पष्ट थे...
1. मध्य प्रदेश में अब क्या होगा?
अब तक के रुझानों में भाजपा और कांग्रेस में करीब 75 से ज्यादा सीटों का फर्क है। 230 सीटों वाले राज्य में भाजपा बहुमत के आंकड़े से काफी आगे निकल चुकी है। पिछली बार यहां भाजपा 109 पर थम गई थी और कांग्रेस 114 के साथ चुनाव जीत गई थी। हालांकि, वह सत्ता बरकरार नहीं रख पाई। अब बड़ा सवाल यह है कि मध्य प्रदेश में सत्ता की कमान किसके हाथ में होगी? 
यहां कई बड़े नेता मैदान में थे। कांग्रेस की 15 महीने की सरकार गिराकर फिर मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते के साथ-साथ गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र और कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय ने भी इस बार चुनाव लड़ा। यहां अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या शिवराज की ही दोबारा ताजपोशी होगी। अगर हां, तो क्या भाजपा असंतोष को रोकने और लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन को दोहराने के लिए क्या दो डिप्टी सीएम का फॉर्मूला अपनाएगी। अगर दो डिप्टी सीएम बनाए जाते हैं तो इस दौड़ में कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद सिंह पटेल सबसे आगे नजर आते हैं। एग्जिट पोल आने के बाद विजयवर्गीय की अमित शाह से मुलाकात हो चुकी है। वहीं, रुझानों के बीच मुख्यमंत्री शिवराज से मिलने ज्योतिरादित्य सिंधिया पहुंचे। उधर, कांग्रेस के खेमे में यह सवाल उठेगा कि हार का ठीकरा किसके सिर फोड़ा जाए। यहां कांग्रेस के सबसे बड़े नेता कमलनाथ ही हैं और आलाकमान का पूरा समर्थन उन्हें हासिल था। 
2. राजस्थान में अब क्या होगा?
200 सीटों वाले राजस्थान में हर बार सत्ता बदल जाने का रिवाज बरकरार है। पिछली बार कांग्रेस को 100 सीटें मिली थीं और भाजपा 73 सीटों पर थी। कई सारी योजनाओं और गारंटियों के बाद भी अशोक गहलोत अपना जादू कायम नहीं रख सके। यहां अब बड़ा सवाल ही है कि भाजपा की सरकार बनने पर मुख्यमंत्री कौन बनने जा रहा है? वसुंधरा राजे दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। इस बार भी उन्होंने चुनाव लड़ा, लेकिन राज्य में समीकरण बदल चुके थे। भाजपा के पास यहां ऐसे नेताओं की फेहरिस्त हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री बनाने पर विचार किया जा सकता है। इनमें प्रमुख नाम हैं- राजेंद्र राठौड़, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, दीया कुमारी और सतीश पूनिया। ये सभी तो चुनावी मैदान में थे। हालांकि, चुनावी पोस्टरों में पीएम मोदी के अलावा सिर्फ वसुंधरा और राजेंद्र राठौड़ की ही तस्वीरें दिखाई दीं। जब चुनावों की घोषणा हुई तो चर्चा केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के नाम की भी रही। हालांकि, एग्जिट पोल आने के बाद से सबसे ज्यादा सक्रिय वसुंधरा राजे ही हैं। 
3. छत्तीसगढ़ में क्या फंसेगा पेंच?
90 सीटों वाले छत्तीसगढ़ में फिलहाल ऐसा ही नजर आ रहा है। रुझानों में पहले कांग्रेस भाजपा से आगे रही, लेकिन यहां अब 2013 जैसी तस्वीर बनती दिख रही है, जब आखिर तक भाजपा-कांग्रेस के बीच दो-चार सीटों का ही फासला रहा, लेकिन भाजपा सरकार बनाने में कामयाब रही थी। फिलहाल अगले कुछ घंटों में यहां स्थिति साफ होने की उम्मीद कम दिख रही है। अगर मामला यहां ऐसा ही बना रहता है तो रिजॉर्ट पॉलिटिक्स जैसी बाड़ेबंदी देखने को मिल सकती है। रुझानों की मौजूदा स्थिति बता रही है कि कांग्रेस को यहां नुकसान हुआ है। भूपेश बघेल 2018 में जीती 68 सीटों जैसी बढ़त बरकरार नहीं रख पाए। वहीं पिछले चुनाव में 15 सीटों पर सिमट चुकी भाजपा को बढ़त हासिल हुई है। यहां भाजपा की तरफ से पुराना चेहरा रमन सिंह का ही है। हालांकि, उन्हें पार्टी ने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट नहीं किया था। वहीं अगर कांग्रेस सरकार बनाने की स्थिति में आती है तो भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव में से कौन बाजी मारेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
4. तेलंगाना में क्या हुआ?
यहां 119 सीटें हैं। पिछली बार बीआरएस को 88 सीटें और कांग्रेस को 19 सीटें मिली थीं। इस बार बाजी पलट गई है। जितनी सीटों पर बीआरएस को नुकसान हुआ है, उतनी ही सीटों पर कांग्रेस मजबूत हुई है। यहां छह साल पहले तेदेपा से आए ए. रेवंत रेड्डी ने कांग्रेस की किस्मत पलट दी है। रेड्डी की अध्यक्षता में पार्टी न सिर्फ जीत रही है, बल्कि खुद रेड्डी मुख्यमंत्री केसीआर के खिलाफ जीत दर्ज करते दिखाई दे रहे हैं। केसीआर रेवंत रेड्डी के खिलाफ कामारेड्डी सीट पर पीछे चल रहे हैं। इसके अलावा वे अपनी परपंरागत सीट गजवेल से भी पीछे हैं। यहां कांग्रेस ने अपने कर्नाटक के सभी बड़े चेहरों को प्रचार में लगाया था। पार्टी को इसका फायदा होता दिख रहा है। कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार एग्जिट पोल आने के बाद से लगातार सक्रिय हैं और अन्य दलों के भी संपर्क में हैं। रेवंत रेड्डी के अलावा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष उत्तम कुमार रेड्डी और पार्टी के दलित चेहरा मल्ली भट्टी विक्रमार्का और कुमाटी वेंकट रेड्डी भी सीएम पद की दौड़ में हैं।
साभार अमर उजाला

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