गुरु आत्मा में, व्यक्तित्व में सुसंस्कारिता का आरोपण करके उसे इसी जन्म में दूसरा जन्म प्रदान करते हैं

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हाटपीपल्या से संजय प्रेम जोशी की रिपोर्ट
हाटपीपल्या-  स्थानीय गायत्री तीर्थ पर गुरु पूर्णिमा पर्व बहुत ही उत्साह के साथ मनाया गया।  गुरु पर्व का महत्व बताते हुए गोष्ठी में मनोहर गुरु ने कहा "भारतीय संस्कृति में ब्रह्मा, विष्णु, महेश की तरह तीन देवता धरती के माने गए हैं- माता-पिता और गुरु। तीनों की तुलना त्रिदेवों से की गई है। माता ब्रह्मा, पिता विष्णु। माता-पिता तो मात्र शरीर का ही पोषण करते हैं जबकि गुरु आत्मा में व्यक्तित्व में सुसंस्कारिता का आरोपण करके इसी जन्म में दूसरा जन्म प्रदान करते हैं। आत्मिक क्षेत्र का परिष्कार कर सकने वाले गुरु को वस्तुत: मूर्तिमान शिव कहा जा सकता है।"
गौष्ठी के पूर्व प्रातः 4:00 बजे से देव पूजन, सामूहिक गायत्री महामंत्र का जाप, नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ, सभी संस्कार और दीक्षा के कार्यक्रम संपन्न कराए गए। यज्ञ की पूर्णाहुति में सभी परिजनों ने आत्म परिष्कार के लिए साधना, स्वाध्याय, संयम और ज्ञान यज्ञ के प्रचार-प्रसार के संकल्प लिए। कार्यक्रम में युग निर्माण सत-संकल्प का सामूहिक पाठ हुआ।
 युग संगीत की प्रस्तुति रवि गुरु और जितेंद्र गुरु ने दी। इसके पश्चात महाप्रसाद का वितरण हुआ। 
यह जानकारी गायत्री परिवार के श्री गिरीश चंद्र गुरु ने देते हुए बताया कि गायत्री तीर्थ पर गुरु पूर्णिमा से रक्षाबंधन तक वृक्षारोपण होगा। तीर्थ पर अशोक-वाटिका, नवग्रह-वाटिका, नक्षत्र-वाटिका और औषधीय पौधे लगाए जाएंगे साथ ही तुलसी के पौधें नि:शुल्क वितरित किए जा रहे है।

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