चंदा का परिवर्तन
छोटे से गाँव की चंदा एक परंपरागत कारीगर थी जो मिट्टी के बर्तन बनाया करती थी। उसके बर्तन गाँव में बहुत प्रसिद्ध थे। पर जैसे-जैसे समय बदला, प्लास्टिक और स्टील के बर्तनों का चलन बढ़ने लगा। चंदा के मिट्टी के बर्तनों की मांग कम होने लगी। वह चिंतित हो उठी कि अब उसका क्या होगा?
एक दिन चंदा ने फैसला किया कि वह अपने कला को नया रूप देगी। उसने मिट्टी से नई तरह की कलाकृतियाँ बनानी शुरू कीं। उसने बर्तनों के अलावा सजावटी आइटम, गमले और शो पीस बनाना शुरू किया। उसने अपनी कला में रंगों का इस्तेमाल करना शुरू किया और हर एक उत्पाद को अनूठा बनाने की कोशिश की।
धीरे-धीरे, चंदा की नई कलाकृतियाँ ध्यान आकर्षित करने लगीं। लोग उसके द्वारा बनाए गए गमलों और सजावटी सामानों को खरीदने लगे। उसकी कला की प्रदर्शनियाँ लगने लगीं और उसके काम की सराहना होने लगी। चंदा ने महसूस किया कि परिवर्तन ने उसकी कला को नई ऊँचाइयाँ प्रदान कीं।
इस कहानी से यह सिख मिलती है कि परिवर्तन स्थायी होता है, और इसे स्वीकार करना और उसके अनुकूल ढलना हमें नई संभावनाओं की ओर ले जा सकता है।