पेड़ों की कटाई पर सीएम मोहन यादव ने दिए जांच के आदेश

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कटनी। एमपी के सर्वाधिक टाइगर का खिताब रखने वाला बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान अपने घने जंगलों और अनेकों वन्य प्राणियों के लिए जाना जाता है, लेकिन इन वन्यजीवों के इलाके में यानी बफर जोन से लगे ग्रामों में लकड़ी माफियाओं ने सेंध लगा ली है। जो यहां के 70 से 100 साल पुराने सरई और साल(साखू) पेड़ों की कटाई करते हुए वन्य प्राणियों के लिए संकट खड़ा कर रहे है। जिसकी शिकायत विजयराघवगढ़ विधायक संजय पाठक ने मुख्यमंत्री से करते हुए मामले की जांच करते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग रखी थी।
विधायक संजय पाठक ने बताया कि कटनी और उमरिया जिले के करीब आधा दर्जन से अधिक ग्रामों में बड़े बड़े पेड़ों की कटाई की करते हुए धराशाई किए जा रहे थे। मामले की शिकायत पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष पेश होते हुए दर्ज कराई थी, जिसे वर्तमान सीएम मोहन यादव द्वारा संज्ञान में लेते हुए जांच के निर्देश जारी किए है। विधायक पाठक की मानें तो उनके परिवार का नाता वनों से काफी गहरा है। वहीं पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम मोहन यादव द्वारा पेड़ों को लोगों से भावनात्क तरीके से जोड़ने के लिए एक पेड़ मां के नाम अभियान चलाया है, लेकिन वन विभाग फील्ड स्टाफ और स्थानीय लोगों की मदद से लकड़ी माफिया सक्रिय होकर पेड़ो की कटाई कर रहे है।
बांधवगढ़ के बफर जोन से लगे इलाके में हुई पेड़ों की कटाई और सीएम मोहन यादव द्वारा उसमें दिए जांच के निर्देश ने प्रदेश की राजधानी भोपाल में सुर्खियां बना ली है। दरअसल विधायक की जानकारी के अनुसार कटनी जिले के ग्राम बरमानी, जमुआ, बिरुहली, नैगमा, विपनिया तो उमरिया जिले के करौंदी, सुखदास, वनेली, समेत अन्य 2 ग्रामों से लगे जंगलों से पेड़ो की कटाई हुई थी। वहीं बांधवगढ़ के फॉरेस्ट अधिकारी पीके वर्मा की मानें तो प्रारंभिक जांच में कुछ पेड़ों के कटाई होना पाया गया था, जिसमें पेड़ काटने वालों के विरुद्ध POR (प्रिलिमिनरी ऑफेंस रजिस्ट्रेनशन) काटकर जुर्माना वसूला गया है, लेकिन कही भी संगठित रूप से पेड़ों की कटाई के साक्ष्य नहीं मिले, वहीं स्टॉफ ने बताया की इस साल कुछ पेड़ आंधी के चलते गिरे हैं, फिलहाल जांच रिपोर्ट बनाकर सौंपी जा रही है।
साभार अमर उजाला

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