आईपीएल के मैचों पर लग रहा है करोड़ों का सट्टा, नशे की तरह युवाओं में तेजी से बढ़ रही है इसकी लत
शिवपुरी जिले में आईपीएल के मैचों पर लग रहा है करोड़ों का सट्टा, नशे की तरह युवाओं में तेजी से बढ़ रही है इसकी लत
ब्यूरो रिपोर्ट ऋषि गोस्वामी शिवपुरी
झारखंड में आईपीएल के मैचों पर करोड़ों का सट्टा लग रहा है. नशे की तरह युवाओं में इसकी लत तेजी से बढ़ रही है. सट्टे का पूरा कारोबार मोबाइल के जरिये चल रहा है. रांची: मटका की तर्ज पर अब शिवपुरी में आइपीएल मैचों पर करोड़ों रुपये का सट्टा रोज लग रहा है. नशे की तरह युवाओं में सट्टे की लत भी तेजी से बढ़ रही है. टीमों की जीत, टीमों द्वारा बनाए गए कुल रन, अलग-अलग खिलाड़ियों के रन, प्रत्येक बॉल पर बनने वाले रन, आउट होने वाले खिलाड़ी आदि पर दांव लगाया जा रहा है. सटोरियों में बड़ी संख्या युवाओं की है. विभिन्न साइटों व मोबाइल ऐप के अलावा बुकियों द्वारा भी खाता खोल कर सट्टा खेलाया जा रहा है. सट्टे का पूरा कारोबार मोबाइल के जरिये चल रहा है.
सिंडिकेट कर रहा है अवैध कारोबार
राज्य में आइपीएल सट्टे का अवैध कारोबार सिंडिकेट कर रहा है. सिंडिकेट के बुकी कमीशन के आधार पर सट्टेबाजी का पैसा जमा करते हैं और दांव जीतने पर बढ़ी हुई रकम लौटाते भी हैं. बुकी को मोहल्लों के हिसाब से जिम्मा दिया जाता है. बुकी द्वारा नकद, फोन पे, गूगल पे व पेटीएम आदि के माध्यम से रुपये लिये जाते हैं. सट्टा खेलने के लिए बुकी को एडवांस देकर अपना अकाउंट खुलवाना पड़ता है. एडवांस की राशि 100 रुपये से एक लाख रुपये तक हो सकती है. खाता खोलने और उसके बाद सट्टे में हर बार लगायी जाने वाली राशि का कमीशन भी बुकी को मिल जाता है. युवाओं को फंसा रहे हैं सूदखोर
युवाओं को सट्टे में पैसा लगाने के लिए सूदखोर भी प्रोत्साहित करते हैं. छोटे स्तर पर छिप कर सूद का काम करने वाले स्थानीय लोग युवाओं को भारी ब्याज पर सट्टा खेलने के लिए रुपये उधार देते हैं. बाद में ब्याज समेत पूरी रकम लौटाने का दबाव बनाते हैं. दबाव की वजह से पहले युवा दोस्तों और रिश्तेदारों से उधार लेते हैं और फिर बाद में अपने घर के अलावा परिचितों के यहां भी चोरी करने से भी गुरेज नहीं करते हैं. हाइटेक सटोरिये पुलिस की पकड़ से बाहर
आइपीएल सट्टे का बाजार काफी हाइटेक है. इंटरनेट पर सट्टा लगाने के लिए दर्जनों प्लेटफॉर्म मौजूद हैं. स्थानीय स्तर पर भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तैयार कर सट्टा खेलाया जा रहा है. ज्यादातर प्लेटफॉर्म का मुख्यालय भारत से बाहर बताया जाता है. इसके बलावा बुकी भी लगातार सिमकार्ड भी बदलते हैं. इन कारणों से सटोरिये पुलिस की पकड़ से बाहर हैं. राज्य में अब तक सट्टे के अवैध कारोबार का खुलासा नहीं किया जा सका है.
ब्यूरो रिपोर्ट ऋषि गोस्वामी शिवपुरी