मन में भक्ति, कर्म में सेवा  यही है शिवम् शिवहरे की पहचान

  • Share on :

करैरा का युवा, जो गरीब, आदिवासी और हर वर्ग के लोगों का बन गया सहारा
दैनिक रणजीत टाइम्स संवाददाता जगदीश पाल
कहा गया है — “जहाँ दूसरों के आँसू पोंछे जाते हैं, वहीं भगवान बसते हैं।”
यह वाक्य करैरा के युवा शिवम् शिवहरे के जीवन पर अक्षरशः लागू होता है। उन्होंने छोटी उम्र में ही यह सिद्ध कर दिया कि समाज सेवा के लिए बड़े पद या शक्ति की नहीं, बल्कि बड़े दिल और सच्चे भाव की आवश्यकता होती है।
शिवम् शिवहरे करैरा नगर के ऐसे सेवाभावी और धार्मिक प्रवृत्ति के युवक हैं, जिन्होंने धर्म को केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे जनसेवा का मार्ग बना लिया। उनके लिए मंदिर की घंटी बजाने से बड़ा पुण्य किसी भूखे की थाली भरना है।
वे कहते हैं अगर कोई भूखा है, तो उसकी थाली भरना ही सबसे बड़ा पूजा-पाठ है; धर्म वहीं है जहाँ करुणा है।
पिछले कुछ वर्षों में शिवम् ने कई ऐसी मिसालें कायम की हैं, जो आज पूरे क्षेत्र में प्रेरणा बन चुकी हैं।
कभी उन्होंने किसी बीमार व्यक्ति को अस्पताल पहुँचाया, तो कभी अनाथ और जरूरतमंद बच्चों को कपड़े, जूते और शिक्षा सामग्री उपलब्ध कराई।
अनेक बार वे आदिवासी बस्तियों में स्वयं जाकर भोजन, दवा और आवश्यक सामग्री का वितरण करते रहे हैं।
उनकी यह निस्वार्थ सेवा भावना ही है, जिसने उन्हें गरीबों, मजदूरों और वंचित वर्गों का सच्चा सहारा बना दिया है।
धार्मिक दृष्टि से भी शिवम् शिवहरे अत्यंत सक्रिय हैं।
सावन, रामनवमी, हनुमान जयंती और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी जैसे अवसरों पर वे स्वयं आगे बढ़कर सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ, भंडारा और गौसेवा के आयोजन करते हैं।
उनकी भक्ति और सेवा, दीपक की लौ और उसकी बाती की तरह एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं — एक बिना दूसरे अधूरी।
शिवम् की सोच से प्रेरित होकर करैरा के कई युवा अब “सेवा ही धर्म है” अभियान के साथ उनसे जुड़े हैं।
इस समूह द्वारा रोज़ किसी न किसी गरीब परिवार की सहायता की जाती है  कभी राशन, कभी शिक्षा, तो कभी चिकित्सा के रूप में।
स्थानीय लोगों का कहना है कि शिवम् शिवहरे का व्यवहार विनम्र, संस्कारित और सरल है। वे हर व्यक्ति से मुस्कुराकर मिलते हैं, चाहे वह अमीर हो या गरीब।
उनके भीतर एक ऐसा भाव है जो समाज में मानवता, एकता और प्रेम का संदेश देता है।
आज जहाँ अधिकतर युवा अपनी व्यस्तता में समाज से दूर हो गए हैं, वहीं शिवम् शिवहरे हर दुखी व्यक्ति तक पहुँचने की कोशिश करते हैं।
वे किसी पद या प्रसिद्धि के मोह से परे, केवल सेवा को ही अपना जीवन धर्म मानते हैं।
अंत में इतना कहना पर्याप्त है 
 अगर सेवा एक दीपक है, तो शिवम् शिवहरे उसकी लौ हैं,
जो करैरा की गलियों में निस्वार्थ भक्ति और मानवता का उजाला फैला रहे हैं।

Latest News

Everyday news at your fingertips Try Ranjeet Times E-Paper