डॉक्टर्स के बैंड द हीलिंग स्टॉर्म ने ऑपरेशन सिंदूर को डेडिकेट किया सांग मां तुझे सलाम
ब्यूरो चीफ अनिल चौधरी
इंदौर। इंदौर के बापट स्थित आनंद मोहन माथुर सभागृह में रविवार शाम को एक अनोखा नजारा देखने को मिला। सर्जरी, स्कैन और स्टेथोस्कोप से रोजाना लोगों की जिंदगी संवारने वाले डॉक्टरों ने जब माइक, सेक्सोफोन और गिटार संभाला, तो मंच पर सिर्फ संगीत नहीं गूंजा बल्कि श्रोताओं को 'हीलिंग' का नया अनुभव मिला। 'द हीलिंग स्टॉर्म' नाम से डॉक्टरों के इस बैंड ने शहर में पहली बार लाइव कॉन्सर्ट किया, जिसमें बॉलीवुड से लेकर सूफी तक हर रंग के गाने पेश किए गए। कॉन्सर्ट की शुरुआत 'शोले' की थीम से हुई और फिर एक के बाद एक 'इन दिनों दिल मेरा', 'पासूरी', 'चल छैयां-छैयां', 'मायरी', 'तेरी दीवानी', 'बदतमीज दिल', 'ओ लाल मेरी' जैसे लोकप्रिय गीतों ने दर्शकों को थिरकने पर मजबूर कर दिया। एक खास सेगमेंट में 'वंदे मातरम' और 'मेरी मां' जैसे भावुक गीतों ने माहौल को भावनात्मक ऊंचाई दी।
डॉक्टर्स ने बजाए हर वाद्य, सेक्सोफोन से लेकर कांगो-बोंगो तक बैंड की खास बात यह रही कि मंच पर सिर्फ डॉक्टर ही नहीं गा रहे थे, बल्कि हर वाद्य यंत्र भी वे खुद ही बजा रहे थे। रुमेटोलॉजिस्ट डॉ. अक्षत पांडे सिंगिंग के साथ सेक्सोफोन और हैंडपैन बजाते नजर आए। लीड वोकलिस्ट दी। रेडियोलॉजिस्ट डॉ. शेलेक्षी वर्मा की आवाज ने समां बांधा। प्लास्टिक सर्जन डॉ. अश्विनी डैश ने गिटार पर कमाल किया, जबकि न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुशांत आहिलदासानी ने रिदम गिटार से ताल दी। पैथोलॉजिस्ट डॉ. अमित वर्मा कांगो-बोंगो जैसे परकशन इंस्ट्रूमेंट्स पर धमाकेदार परफॉर्मेंस दी। बेस गिटारिस्ट हिमांशु वर्मा थे जिनके साथ ऋषभ जैन और आनंद बेनल ने खूबसूरत प्रस्तुति तीन महीने से कर रहे थे रात 9 से 12 बजे तक प्रैक्टिस। डॉ. अक्षत बताते हैं कि हमारा सपना था कि एक ऐसा बैंड हो जिसमें डॉक्टर हर वाद्य खुद बजाएं। पिछले छह महीने से हम इसकी तैयारी में थे और तीन महीने से हर दूसरे दिन रात 9 से 12 बजे तक प्रैक्टिस करते रहे। दिन भर की सर्जरी, मरीज और फैमिली के बीच समय निकालकर हमने इस पैशन को जिया। बैंड का नाम 'द हीलिंग स्टॉर्म' रखने के पीछे भी एक सोच है। जैसे तूफान धीरे-धीरे आता है और फिर सबको अपनी लहर में बहा लेता है, वैसे ही यह संगीत लोगों को धीरे-धीरे हील करता है, यह सिर्फ एंटरटेनमेंट नहीं, एक थेरेपी है।

