संपादकीय: समाज और विवाह की बदलती धारणाएँ

  • Share on :

लेखक: गोपाल गावंडे

आज के समाज में विवाह को लेकर जिस तरह की जागरूकता बढ़ी है, उसने आपसी रिश्तों को जटिल बना दिया है। परिवारों में, खासकर लड़कियों के लिए, सही उम्र में विवाह न होने की समस्या उभर कर सामने आ रही है। 27-28-32 साल की उम्र तक कई लड़कियाँ घर बैठी रह जाती हैं, क्योंकि उनके सपने और अपेक्षाएँ उनकी हैसियत से भी ज्यादा होती हैं। ऐसे में, हमें यह सोचना चाहिए कि क्या वाकई हम सही दिशा में जा रहे हैं?

विवाह का वास्तविक सुख
विवाह का वास्तविक सुख केवल आर्थिक समृद्धि में नहीं है, बल्कि एक अच्छे और संतुष्ट जीवन साथी के साथ मिलकर एक सुखी परिवार बनाने में है। यह सत्य है कि पैसा महत्वपूर्ण है, लेकिन इसका सीमित महत्व ही है। अधिक धन के पीछे भागने के बजाय, अच्छे गुणों वाले जीवन साथी की तलाश करनी चाहिए। 

कुंडली मिलान और सामाजिक धारणाएँ
कुंडली मिलान एक महत्वपूर्ण परंपरा है, लेकिन केवल इस पर निर्भर रहकर अच्छे रिश्तों को नजरअंदाज करना गलत है। कई उदाहरण हैं जहां कुंडली के सभी गुण मिल जाने के बावजूद भी जीवन में समस्याएँ आई हैं। 
उदाहरण: रीता की शादी के समय 36 में से 36 गुण मिल गए थे, लेकिन शादी के बाद भी उसे अपने पति से कोई समझ नहीं मिली। उनकी शादी में निरंतर तनाव बना रहता है क्योंकि उन्होंने सिर्फ कुंडली पर ध्यान दिया, गुणों और समझ को नजरअंदाज कर दिया। 

सही उम्र में विवाह का महत्व
विवाह के लिए सही उम्र लड़कियों के लिए 22-24 साल और लड़कों के लिए 25-26 साल होती है। इस उम्र में शारीरिक और मानसिक स्थिति बेहतर होती है, जो सुखी वैवाहिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। ज्यादा उम्र में विवाह करने से कई स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, और यह एक प्रकार का समझौता बन जाता है।
उदाहरण: 30 वर्षीय नेहा ने अपनी करियर की वजह से विवाह को टाल दिया, लेकिन अब जब वह विवाह के लिए तैयार है, तो अच्छे रिश्ते ढूंढने में कठिनाई हो रही है। उसके परिवार ने बहुत सारे अच्छे रिश्तों को ठुकरा दिया था, जो अब समझौता बन गए हैं। 

पारिवारिक मूल्यों की पुनः स्थापना
एक समय था जब रिश्तों की अहमियत होती थी, और वो लंबे समय तक निभाए जाते थे। अब आर्थिक चकाचौंध के चलते परिवार टूट रहे हैं, और प्रेम सूखता जा रहा है। यह एक चिंताजनक स्थिति है और समाज को इस पर ध्यान देना चाहिए।
उदाहरण: पुराने समय में अंजलि की दादी ने अपने परिवार की खुशी और सहयोग से शादी की थी। उनका वैवाहिक जीवन खुशहाल रहा और उनके बच्चे भी इसी संस्कारों के साथ पले-बढ़े। आजकल की पीढ़ी में ऐसी स्थिरता और समर्थन कम ही देखने को मिलता है।

जागरूकता की आवश्यकता
समाज को अब जागना जरूरी है। हमें विवाह में गुणों और व्यवहार को प्राथमिकता देते हुए सही समय पर रिश्ते बनाने चाहिए। आर्थिक और सामाजिक धारणाओं के पीछे भागने से अच्छा है कि हम अपने मूल्यों और संस्कारों को बनाए रखें। ऐसा नहीं करने पर आने वाली पीढ़ियाँ सिर्फ किताबों में 'संस्कार' पढ़ेंगी।
उदाहरण: समाज के जागरूकता का एक अच्छा उदाहरण सुमित और प्रिया की शादी है, जिन्होंने एक-दूसरे के गुण और व्यवहार को प्राथमिकता दी। उन्होंने समाज की परवाह किए बिना अपने परिवार की खुशी और सहयोग से विवाह किया और आज उनका जीवन खुशहाल है।
इसलिए, समाज के सभी वर्गों को मिलकर इस समस्या पर विचार करना होगा और एक समृद्ध, खुशहाल और संतुष्ट समाज का निर्माण करना होगा। विवाह जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे सही दृष्टिकोण और सही समय पर किया जाना चाहिए।

-गोपाल गावंडे
संपादक

Latest News

Everyday news at your fingertips Try Ranjeet Times E-Paper