फाइबर टू सिल्क फेब बास्केट बॉल कॉम्प्लेक्स में 10 नवंबर तक
सह संपादक अनिल चौधरी
इंदौर। शहर के बीच बास्केट बॉल कॉम्प्लेक्स में चल रहे 'फाइबर टू सिल्क फेब' एक्जीबिशन का शुभारंभ मॉडल निया माथुर ने किया । प्रदर्शनी में कच्छ के भोला प्रधान इस कलेक्शन को लेकर आए हैं। गुजरात की ये पारंपरिक साड़ियां आमतौर पर रेशम या सूती-रेशम मिश्रण से तैयार होती है और इन साड़ियों पर जरी का काम होता है। ये ग्रिड या चेकर पैटर्न में होती हैं। इन चेक पैटर्न में अक्सर मोर, कमल और हाथी आदि बनाए जाते हैं। प्रधान के पास मलबरी सिल्क माधवी लता (फूल की बेल) का काम की ये पारंपरिक साड़ी मौजूद है। इस पर गजराज, मयूर के साथ पारंपरिक डिजाइन उतारे गए है। कई साड़ियों पर राजा-महाराजा के दरबार तक बनाए जाते है और काम के मुताबिक इसके तैयार होने के दिन भी बढ़ जाते हैं। समय के साथ, गुजराती बुनकरों ने इन पारंपरिक डिज़ाइनों को आधुनिक सौंदर्यशास्त्र के साथ मिश्रित किया है।
आयोजक आशीष गुप्ता ने बताया कि इस एग्जीबिशन को खास शादियों के सीजन को देखते हुए लगाया गया है। यहां 40 स्टॉल है, जिनपर हेवी ब्राइडल साड़ियों का कलेक्शन भी है और यहां खास छूट भी दी जा रही है।यहां आंधप्रदेश का कलमकारी, उत्तर प्रदेश की बनारसी, जामदानी, बिहार की टसर सिल्क साड़ी और ड्रेस मटेरियल, तमिलनाडु का कांजीवरम सिल्क, बंगाल का ढाका मसलीन सिल्क भी आया है। एक्जीबिशन में दरभंगा बिहार के मोहम्मद बरकत भी मूंगा सिल्क पर मधुबनी का काम किए साड़ी लेकर आए हैं। इनके पास असम की पारंपरिक मिकला साड़ी भी हैं।

