क्षमाशीलता : मुक्ति का द्वार

  • Share on :

आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व श्री यीशु ख्रीष्ट धरती पर परमात्मा के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने के लिए अवतरित हुए थे। मनुष्य को क्षमाशीलता का महत्व बताने के लिए उन्होंने अपने जीवन काल में कितने कष्ट सहें। श्री जीसस धरती पर केवल 33 वर्ष तक ही रहे, उन्होंने अपने जीवन काल में जो प्रेम की अविरल धारा बहाई उसके कारण वह आज भी पूरे विश्व में पूजे जाते हैं। 
वह हमारे छठे चक्र यानी कि आज्ञा चक्र में स्थित हैं, इस चक्र में श्री येशु की जागृति होने से मनुष्य के विचार एकदम शांत हो जाते हैं और वह क्षमाशील हो जाता है। सहजयोग संस्थापिका श्री माता जी निर्मला देवी साधको को संबोधित करते हुए बताते है कि क्षमा तो एक बुनियादी मानवीय आवशयकता है जिसकी सहायता से मनुष्य एक प्रेममय संसार की स्थापना कर सकता है। क्षमा करने से मन में आंतरिक शांति महसूस होती है जिसके कारण मानव में संतुलन आता है। क्षमा न करके हम केवल स्वयं को सताते है, क्योंकि जब हम क्षमा नही करते तो केवल बदले की भावना या नफ़रत भरे विचार हमारे मस्तिष्क को खा रहे होते है, जिससे हमारा व्यक्तित्व कड़वा होता जाता है एवं परमात्मा की प्रेम शक्ति हमारे अंदर से बहना बंद हो जाती है। परमात्मा क्या है? परमात्मा प्रेम ही तो है परमात्मा क्षमा का सागर ही तो है। हर धर्म और हर ग्रंथ में यही बताया गया है। भले ही उनकी भाषा अलग हो परंतु सार एक ही था कि भेद भाव न करके प्रेम करो और ये प्रेम निर्वाज्य प्रेम होना चाहिए। वह केवल तभी संभव होगा जब हम सामने वाले की त्रुटियों को छोड़कर उनकी अच्छाइयों को देखेंगे और वह केवल क्षमा करने से ही दिखेंगी। 
जब मनुष्य आत्म साक्षात्कार को प्राप्त करता है तो स्वयं अपनी आत्मा के प्रकाश में अपना भला और बुरा देखता है और स्वतः वह क्षमशीलता के गुण से आशीर्वादित हो जाता है। श्री माता जी निर्मला देवी द्वारा स्थात्पित सहजयोग का पहला चरण ही आत्म साक्षात्कार है। श्री क्राइस्ट ने भी कहा है "स्वयं को जानो" वह स्वयं क्या है? वह स्वयं आत्मा है बाकी यह मन, बुद्धि, अहंकार सब मिथ्या है। आत्म साक्षात्कार प्राप्त करने के बाद मनुष्य स्वयं को देख पाता है, वह अपना गुरु बन खुद को ही सवारता है, खुद की गलतियों को सुधारता है। यह बात सिर्फ कथन की नही, अनुभव की है। पूरे विश्व में श्री माता जी निर्मला देवी ने सहजयोग का प्रचार किया जिसके फलस्वरूप आज विश्व में लगभग हर देश में सहजयोग फैला हुआ है। जिन जिन लोगो ने आत्म साक्षात्कार पाया उन्होने इन सभी गुणो की जागृति अपने अंदर महसूस करी है एवं वह बहोत सुंदर व्यक्तित्व संग उभरे है। यदि आप भी अनुभव करना चाहते है तो कृपया www.learningsahajayoga.com जाए या फिर 1800 2700 800 टोल फ्री नंबर पर कॉल करे। सहजयोग पूर्णतः निशुल्क है।

Latest News

Everyday news at your fingertips Try Ranjeet Times E-Paper