श्री गणेश तत्व की जागृति का पर्व है, गणेश चतुर्थी

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*वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभ, 
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा*।। 
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हम गणेश उत्सव मनाने जा रहे है। प्रतिवर्ष हम गणेश उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। श्री गणेश जी 'विद्या का देवता' या आद्यदेव' भी कहा जाता है। किसी भी कार्य को करने से पहले हम श्री गणेश की पूजा करते हैं। स्वातंत्र्यपूर्व काल में संपूर्ण भारतीय समाज को अंग्रेजों के खिलाफ  जागृत करने के लिये राष्ट्रभक्त लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 'गणेशोत्सव' मनाने का फैसला लिया और संपूर्ण समाज को जागृत कर अपने भारत देश की स्वतंत्रता की राह प्रशस्त की। 
     प. पू. श्री माताजी प्रणित सहजयोग एक शास्त्रीय, नैसर्गिक और अनुभूति जन्य ध्यान‌ पद्धति है। जिसके द्वारा हम हमारे अंत - स्थित श्री गणेश को जानते है।  हमारा ये सुंदर शरीर ही भगवान का मंदिर है और इस मंदिर में सभी देवी-देवता विराजमान हैं। सहजयोग दो शब्दों से मिलकर बना है, 'सहज' जिसका अर्थ है 'सह' और 'ज' अर्थात् आपके साथ जन्मा हुआ और योग, शब्द का अर्थ है 'जोड़ना, मेल करना' ।  योग शब्द का अर्थ है चित्त वृत्ति का ' निरोध' अर्थात 'निर्विचार' अवस्था या ध्यान का अनुभव लेना । हम कहते हैं कि, सहज योग ध्यान एक पद्धति है। इसे हम शास्त्र के माध्यम से जान सकते हैं । जब गणपति अथर्वशीर्ष में अथर्व ऋषि, भगवान गणेश की आराधना करते हुए कहते हैं कि, "त्वं मूलाधार स्थितोसि नित्यम्।" आध देवता थी गणेश हमारे सूक्ष्मशरीर में सुषुम्ना नाड़ी पर स्थित प्रथम चक्र मूलाधार में स्थित हैं । सहजयोग में आत्मसाक्षात्कार प्राप्ति के 
पश्चात् जब हम, हमारे प्रथम चक्र मूलाधार पर चित्तस्थिर कर ध्यान और प्रार्थना करते हैं कि, गणेश हमें पावनता, अबोधिता, सदसद् विवेक और मंगलमयता हमें प्रदान कीजिये। हमें हमारे आद्यदेव  "शिव और शक्ति" के प्रति संपूर्ण श्रद्धा और समर्पण दीजिये, हमें ऐसा व्यक्तित्व प्रदान कीजिये कि हम आपको खुश और प्रसन्न कर सकें। तो भगवान श्रीगणेश की कृपा से हमारी माँ स्वरुपिणी कुंडलिनी शक्ति उर्ध्वगामी होकर शीतल चैतन्य लहरियों से हमें आशीर्वादित करती हैं। धीरे-धीरे  हम ध्यान में परिपक्व होते जाते हैं और हम श्रीगणेश की कृपा से स्थिर, एकाग्र वर्तमान का आनंद लेने वाले, प्रसन्न चित्त, आकर्षक और सतोगुणी बन जाते हैं। इस गणेश चतुर्थी को श्री गणेश का लाल जासवंदी के फूल व हरी-हरी दुर्वा व मोदक से पूजन के  साथ सहजयोग में आत्मसाक्षात्कार को पक्का करते हैं तथा हृदय से जानते हैं अपने अंदर स्थित श्री गणेश को।
पूर्णतः नि:शुल्क सहजयोग के अनगिनत लाभों से लाभान्वित होने हेतु  जानकारी टोल फ्री नं – 1800 2700 800 से प्राप्त कर सकते हैं।

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