आनन्दमयी होली

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युगों-युगों से चली आ रही, दुलार का संचार है होली, 
दिल को पिया जो भाये, प्रेयसी का श्रृंगार है होली। 


सृजन संस्कार की सुरताल, धर्मिता की फुहार है होली, 
कोई चढ़ावे श्रीफल, कोई माला, मानताओं का आधार है होली। 

कबीर के दोहे की याद, रसखान की धार है होली, 
राधा-कृष्ण, हीर-रांझा, के प्यार की बयार है होली । 

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख के मिलन का तार है होली, 
एकता के रंग बिखेरती, रंग गुलाल का त्यौहार है होली। 

क्रांति का करती संचार, क्रूरता पर प्रहार है होली, 
कर्तव्य पथ दिखलाती, लाती आजादी सा उपहार होली। 

होली की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं। 

कला का सत्य जीवन की परिधि में, सौन्दर्य के माध्यम से व्यक्त अखण्ड सत्य है।

कवि- विपिन जैन

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