सहज योग में समस्यायें निर्विचारिता को समर्पित हो जाती है
संसार में समस्याओं की कमी नहीं। किसी को शारीरिक समस्या होती है, तो किसी को मानसिक और किसी को आर्थिक समस्या घेरे रहती है। किसी-न-किसी प्रकार की समस्या प्रायः सबके पीछे लगी रहती है। समस्याओं से सर्वथा रहित कदाचित ही कोई व्यक्ति रहता है। कोई यदि शरीर से दुःखी है उसे रोग, निर्बलता, बुढ़ापा घेरे है, तो कोई मन से उद्विग्न है। कहीं सम्मान में धक्का लग गया है तो कहीं संतान ने व्यथा दी और कहीं कोई विरोध का सामना करना पड़ा।
तन, मन और धन लौकिक जीवन की तीन विभूतियाँ मानी गई हैं। संसार के सुखों का आधार भी इन्हीं को कहा गया है। और शरीर स्वस्थ रहे, मन प्रसन्न रहे और अभाव का आक्रमण न हो तो फिर मनुष्य का सुखी रहना संभव है। परंतु इनके संयोग से मिलने वाला सुख चिरस्थायी नहीं होता क्योंकि समस्यायें हमारी सोच के परिणामस्वरूप ही उत्पन्न होती है।
सहज ध्यान योग को आत्मिक उत्थान का योग कहा जाता है। कुंडलिनी के जागरण से आत्मज्ञान पाकर, इस योग में साधक सदैव मध्य मार्ग में रहता है यानि संतुलन में रहता है। उसे ना भविष्य की चिंता सताती है ना भूतकाल उसे प्रताड़ित करता है। सहज योग ध्यान संतुलित होकर बगैर किसी तनाव के जीवन जीने का सरल माध्यम है। इस ध्यान योग को सीखना बहुत आसान है। सहज योग ध्यान केंद्र के द्वार हर साधक के लिए खुले होते हैं।
सहज योग ध्यान से हमारी सोच विकसित होती है। सहज ध्यान करने वालों का हृदय चक्र के संतुलित होने से साधक का स्वभाव बहुत सरल, शांत और दूसरों का सम्मान करने वाला हो जाता है। यह स्वभाव साधक को न केवल बाहर से बल्कि अंदर से भी बदल देता है, और अच्छा बोलना और व्यवहार करना हमारे स्वभाव का हिस्सा बन जाता है। साधक शांत और संयमित स्वाभाव के कारण किसी भी समस्या का सही समाधान ढूंढने में सक्षम हो जाता है। यही वो गुर है जिससे हम अपनी समस्या को अचेतन में छोड़ने में सफल होते हैं।
हम अपने आत्मोत्थान के बाद जो भी प्रार्थना करते हैं वो सब ब्रम्हांड में चैतन्य के साथ बहने लगता है। फिर समाधान के लिए फिक्र नहीं होती, हम समाधानी बन जाते हैं।
आत्मविश्वास, सरलता और शांत प्रकृति के कारण ऐसे लोग जो ध्यान करते हैं, बेहद प्रभावी होते हैं। इसकी झलक उनके निजी और पारिवारिक जीवन में स्पष्ट देखने को मिलती है। इसी अवस्था को संतों ने आनंद की अवस्था कहा है।
हृदय चक्र की ऊर्जा से विकसित हुए आत्मविश्वास के कारण हममें अपनी बात रखने का कौशल आ जाता है। सहज योग प्रणेता और हमारी परमपूज्य श्री माताजी निर्मला देवी कहती हैं "निर्विचार अवस्था में जो भी घटित होता है, वह प्रबुद्ध और प्रकाशमान होता है।"
इस अद्भुत और समस्याओं से निजात देने वाले सहज योग से जुड़ने के लिए हम आपको आमंत्रित करते हैं। अपने नज़दीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 से प्राप्त कर सकते हैं या वेबसाइट www.sahajayoga.org.in पर देख सकते हैं। सहज योग पूर्णतया निशुल्क है।