भारतीय टीम ने विश्व चैंपियन बनने का मौका गंवाया, क्या फैसले लेने में हुई चूक ?

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अहमदाबाद। रोहित शर्मा की कप्तानी में भारतीय टीम विश्व चैंपियन बनने का मौका चूक गई। वनडे विश्व कप 2023 के फाइनल में भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ छह विकेट से हार का सामना करना पड़ा। भारत के पास आईसीसी ट्रॉफी का एक दशक लंबा सूखा खत्म करने का मौका था, लेकिन रोहित की अगुआई वाली टीम ऐसा नहीं कर सकी। इस विश्व कप में भारत ने लगातार 10 मैच जीते थे, लेकिन 11वां मैच जीतने से चूक गया। भारत की इस हार के लिए टीम और कप्तान के कई फैसले जिम्मेदार थे। यहां हम इन्हीं के बारे में बात कर रहे हैं।
सूर्या की जगह जडेजा को बैटिंग के लिए भेजा
इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत ने अच्छी शुरुआत की थी, लेकिन गिल और श्रेयस के फेल होने पर राहुल और कोहली ने पारी को संभाला। जब विराट आउट हुए तो बल्लेबाजी के लिए सूर्यकुमार यादव को आना था, लेकिन रोहित ने बल्लेबाजी क्रम बदल दिया और जडेजा को बैटिंग के लिए भेज दिया। उनका यह दांव टीम पर उल्टा पड़ा। जडेजा 22 गेंद में नौ रन बनाकर आउट हो गए। इससे राहुल पर भी दबाव बढ़ा और भारत की रन गति रुक सी गई। बाद में जब सूर्यकुमार बल्लेबाजी के लिए आए तो उनका साथ देने के लिए कोई था ही नहीं। वह अंत तक संभलकर खेलते रहे और अंत में बड़ा शॉट खेलने के प्रयास में आउट हुए। उन्होंने 28 गेंद में 18 रन बनाए। रोहित के इस फैसले की वजह से सूर्यकुमार और जडेजा दोनों की बल्लेबाजी फ्लॉप हो गई।
शमी को नई गेंद थमाई
भारतीय टीम 240 रन का बचाव करने उतरी तो रोहित शर्मा ने दूसरी नई गेंद मोहम्मद शमी को थमा दी। पूरे विश्व कप में शमी ने थोड़ी पुरानी गेंद से गेंदबाजी की थी। इस वजह से उन्हें हल्की स्विंग मिल रही थी और बल्लेबाजों के लिए उन्हें खेलना मुश्किल हो रहा था। वह लगातार विकेट निकाल रहे थे। अचानक फाइनल में नई गेंद मिलने पर शमी उसकी स्विंग नहीं संभाल पाए। वह अपनी लाइन से भटकते रहे और काफी महंगे साबित हुए। इसी वजह से उनके विकेट लेने के बावजूद ऑस्ट्रेलियाई टीम पर दबाव नहीं बना।
आक्रामक फील्डिंग नहीं लगाई
इस मैच में ऑस्ट्रेलिया के ट्रेविस हेड और मार्नस लाबुशेन ने बेहतरीन साझेदारी की और मैच भारत की मुट्ठी से ले गए। 240 रन का बचाव करते हुए एक बात साफ थी कि इस स्कोर का बचाव सिर्फ ऑस्ट्रेलियाई टीम को आउट करके ही किया जा सकता है और भारतीय गेंदबाजों में कंगारू टीम को आउट करने का दमखम भी था। ऐसे में कप्तान रोहित ने आक्रामक फील्डिंग नहीं लगाई। दो मौके ऐसे आए जब गेंद हेड और लाबुशेन दोनों के बल्ले का किनारा लेकर स्लिप में गई, लेकिन वहां कोई फील्डर ही नहीं था। इसी वजह से यह साझेदारी जब टूटी तो मैच खत्म हो चुका था।
वनडे रैंकिंग में दूसरे स्थान पर मौजूद सिराज पर भरोसा नहीं जताया
रोहित शर्मा ने इस मैच में अपने अहम गेंदबाज मोहम्मद सिराज पर भरोसा नहीं जताया। सिराज 2022 से वनडे में भारत के लिए लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने नई गेंद से अच्छा प्रदर्शन किया है और मौजूदा समय में आईसीसी रैंकिंग में नंबर दो गेंदबाज हैं। इसके बावजूद रोहित ने उन पर कोई भरोसा नहीं जताया। उन्हें सबसे आखिर में गेंदबाजी के लिए लाया गया। पुरानी गेंद से सिराज वह कमाल नहीं कर सके, जो पावरप्ले में करते हैं और वह टीम के लिए एक अहम खिलाड़ी की बजाय फाइनल में एक बोझ साबित हुए।
छठे गेंदबाज का नहीं किया इस्तेमाल
नीदरलैंड के खिलाफ मुकाबले में रोहित शर्मा ने नौ गेंदबाजों का इस्तेमाल किया था। विराट कोहली, शुभमन गिल, सूर्यकुमार यादव और खुद कप्तान रोहित ने गेंदबाजी की थी। कोहली और रोहित को विकेट भी मिले थे। मैच के बाद गेंदबाजी कोच ने इंटरव्यू में कहा था कि वह विराट से पावरप्ले और बीच ओवरों में गेंदबाजी कराने के बारे में सोच रहे हैं, लेकिन इस मैच में जब भारतीय गेंदबाज फेल हुए तो रोहित ने इनमें से किसी भी पार्ट टाइम गेंदबाज का इस्तेमाल नहीं किया। हेड और लाबुशेन के बीच 192 रन की साझेदारी हो गई, लेकिन रोहित ने किसी भी पार्ट टाइम गेंदबाज को नहीं आजमाया।
साभार अमर उजाला

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