इंडिगो का ऑपरेशनल संकट – यात्रियों की चिंता, सिस्टम की परीक्षा

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✍️ रणजीत टाइम्स सम्पादकीय

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन IndiGo इन दिनों अपने अब तक के सबसे बड़े ऑपरेशनल संकट से जूझ रही है। हजारों यात्रियों की यात्रा योजनाएँ प्रभावित हो चुकी हैं, सैकड़ों उड़ानें रद्द या विलंबित हुईं, और एयरपोर्ट्स पर अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है। सवाल यह है कि क्या यह केवल एक एयरलाइन का संकट है — या देश की उड्डयन व्यवस्था के सामने खड़े एक बड़े सिस्टम फेलियर का संकेत?

✈️ पायलट ड्यूटी-टाइम नियमों पर विवाद और ऑपरेशन ठप

IndiGo की समस्या महज ‘पायलटों की कमी’ नहीं है। हाल ही में लागू हुए नाइट-ड्यूटी और रेस्ट-टाइम नियमों ने एयरलाइन के शेड्यूल को हिला दिया। जैसे-ही पायलटों ने ओवर-वर्किंग का विरोध किया, देश की सबसे बड़ी एयरलाइन की रीढ़ कुछ घंटों में हिल गई।
यह बताता है कि सिस्टम में मानव संसाधन प्रबंधन और प्लानिंग कितनी कमजोर है।

 

 सबसे बड़ा नुकसान – आम यात्री

एयरपोर्ट्स पर यात्रियों की लाइनें लंबी हो गईं।
कई लोग शादी, मेडिकल इमरजेंसी, इंटरव्यू और बिजनेस मीटिंग से चूक गए।
सबसे चिंताजनक यह रहा कि यात्रियों को समय पर सूचना नहीं मिली, कई जगह रिफंड और री-शेड्यूल को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रही।

यह वह समय है जब एयरलाइन को संकट-प्रबंधन (crisis management) और पारदर्शिता दिखानी चाहिए थी — परंतु यह सबसे कम दिखाई दी।

 

 सरकारी दखल — अस्थायी राहत

DGCA और नागरिक उड्डयन मंत्रालय को रात-ड्यूटी नियम अस्थायी रूप से हटाने पड़े।
सरकार ने फेयर-कैप लगाया ताकि टिकट महंगे न हों और रिफंड तुरंत जारी करने का आदेश दिया।

यह कदम जरूरी थे, पर सवाल यह भी है —
क्या इतने बड़े फैसले पहले नहीं लिए जा सकते थे, ताकि नागरिकों को परेशानी न झेलनी पड़े?

 सिस्टम की सबसे बड़ी सीख

IndiGo जैसी एयरलाइन जब लड़खड़ाती है, तो पूरा उड्डयन तंत्र हिल जाता है।
यह दर्शाता है कि:

एयरलाइंस में ओवर-स्ट्रेच्ड स्टाफ एक बड़ा खतरा है

पायलटों पर बढ़ता वर्क-लोड लंबे समय से अनदेखा किया जा रहा था

यात्रियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए मजबूत नीति की जरूरत है


 अब क्या करना होगा? (रणजीत टाइम्स की राय)

1. पायलट और टेक्निकल स्टाफ पर अत्यधिक दबाव रोका जाए


2. फ्लाइट रद्द होने पर 100% पारदर्शिता और रियल-टाइम अपडेट अनिवार्य किए जाएं


3. क्लियर टाइमलाइन देकर भरोसा लौटाया जाए


4. एयरलाइन को यात्रियों को क्षतिपूर्ति (compensation) पर भी सोचना चाहिए


5. संकट-प्रबंधन सेल को स्थायी बनाया जाए

 

निष्कर्ष

IndiGo का यह संकट केवल एक एयरलाइन की कहानी नहीं है — यह उस सिस्टम की कहानी है, जो तेज़ी से बढ़ तो रहा है, पर उसे उतनी ही तेज़ी से सुधार और संतुलन की भी आवश्यकता है।
यात्री इस देश की उड्डयन व्यवस्था की रीढ़ हैं।
उनकी सुरक्षा, सुविधा और अधिकार सर्वोपरि हैं — और रहेंगे।

 

– आपका गोपाल गावंडे
मुख्य संपादक, रणजीत टाइम्स

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