क्या "जीत" ही सब कुछ है..? क्या "खुशी" सब कुछ नहीं..?

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सितारे ज़मीन पर’ की रूह को छूती ‘देखनीय’ फिल्म!
राजेश धाकड़
"बहोत सई पिच्चर है भिया!"
यह संवाद, जो एक साधारण-सा लगता है, असल में उस असाधारण अनुभव को बयां करता है जिसे आमिर खान की हालिया फिल्म दर्शकों को सौंपती है।
हालांकि इसे ‘तारे ज़मीन पर’ का सीक्वल नहीं कहा जा सकता, लेकिन इसकी आत्मा कहीं न कहीं उस फिल्म से जुड़ती जरूर है। यह नई कहानी है – नए किरदारों और नए संदेशों के साथ। यह दिव्यांग, न्यूरो-डाइवर्जेंट या डिफरेंटली एबल्ड लोगों की दुनिया को सादगी से नहीं, गहराई से दिखाती है।
फिल्म की टैगलाइन "सबका अपना – अपना नॉर्मल", महज़ एक जुमला नहीं बल्कि समाज की उस सोच पर सवाल है जो 'नॉर्मल' की एक ही परिभाषा में सबको कसने की कोशिश करती है।
कहानी का मर्म:
हर इंसान अपने आप में एक संपूर्ण ब्रह्मांड है – चाहे वह मोटा हो या पतला, चपटी नाक वाला हो या नुकीली नाक वाला, तेज़ बुद्धि वाला हो या सीमित क्षमता वाला। इस फिल्म में बताया गया है कि समाज जिसे 'अलग' मानता है, वह भी अपने आप में 'पूरा' होता है।
भावनाओं की गेंद:
फिल्म खेल के मैदान से शुरू होकर दिलों की ज़मीन तक पहुँचती है। बॉस्केटबॉल मैच केवल एक मंच है, असली खेल तो संवेदनाओं का है – और उसमें फिल्म हर सीन में जीतती है।
डायलॉग और अभिनय:
आमिर खान कोच के रूप में हैं – कभी सख्त, कभी भावुक, लेकिन हमेशा संवेदनशील। जेनेलिया देशमुख उनके साथ सधी हुई भूमिका में हैं। बृजेन्द्र काला और डॉली अहलूवालिया जैसे कलाकारों ने कहानी में जान डाल दी है।
और सबसे ख़ास बात – 10 वास्तविक दिव्यांग कलाकारों को लिया गया है, जो डाउन सिंड्रोम जैसी बौद्धिक चुनौतियों के साथ जीते हैं। उनका सहज अभिनय दर्शकों को रुलाता भी है और हँसाता भी।
तकनीकी पक्ष:
फिल्म का संगीत रोचक है। अरिजीत सिंह की आवाज़ हर बार की तरह दिल छूती है। संवादों में हास्य है, व्यंग्य है, और सबसे बड़ी बात – सचाई है।
क्यों देखें ये फिल्म?
इस फिल्म में न कोई खलनायक है, न बेतुकी मारधाड़। न चुम्बन दृश्य हैं, न ही आइटम सांग। लेकिन फिर भी फिल्म अंत तक बाँधे रखती है – क्योंकि इसमें दिल है। यह फिल्म उन कहानियों को मंच देती है जिन्हें आमतौर पर ‘बैकग्राउंड’ में रखा जाता है।
और अंत में...
फिल्म का मूल प्रश्न यही है –
क्या जीत ही सब कुछ है..? या फिर खुशी..?
आमिर खान इस बार फिर एक ऐसी कहानी लेकर आए हैं जो आँखें नम कर देती है, और दिल में कुछ छोड़ जाती है।
फिल्म देखिए – और महसूस करिए कि हर सितारा ज़मीन पर ही जन्म लेता है।

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