जडेजा के पास टेस्ट क्रिकेट में 300 विकेट और 3000 रन के ‘ग्रैंड डबल’ को हासिल करने का मौका

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नई दिल्ली। रविंद्र जडेजा कागजों पर कभी भारतीय स्पिन अटैक की अगुआई करते नहीं दिखते। वाइट बॉल फॉर्मेट में स्पिन डिपार्टमेंट में कुलदीप यादव या युजवेंद्र चहल अगुआई करते दिखते हैं तो रेड बॉल में स्पिन फ्रंट का जिम्मा रविचंद्रन अश्विन संभालते हैं। हालांकि, जब टीम मैदान पर उतरती है तो यह थ्री-डायमेंशनल प्लेयर हर विभाग में अपनी मौजूदगी दर्ज करा देता है।
27 सितंबर से शुरू होने वाले कानपुर टेस्ट में जडेजा के पास टेस्ट क्रिकेट में 300 विकेट और 3000 रन के ‘ग्रैंड डबल’ को हासिल करने वाले खिलाड़ियों के एलीट क्लब में शामिल होने का मौका होगा। जड्डू के नाम अभी 299 विकेट और 3122 रन दर्ज हैं। भारत के दो खिलाड़ियों अश्विन और कपिल देव सहित अब तक दुनिया के केवल 10 खिलाड़ी ही इस उपलब्धि को हासिल कर पाए हैं।
टीम की जीत में अहम रोल निभाने के बावजूद जडेजा को उतनी सुर्खियां नहीं मिलतीं। टेस्ट में कई बार ऐसा हुआ है जब जडेजा ने भारत को मुश्किल से निकाला है। बांग्लादेश के खिलाफ पहले टेस्ट में भारत की 280 रन की जीत के दौरान भी इसका नजारा देखने को मिला जब 144 रन पर छह विकेट गंवाने के बाद जडेजा और अश्विन ने सातवें विकेट के लिए 199 रन की साझेदारी करके भारत को 376 रन तक पहुंचाया। जडेजा ने 86 रन बनाए, लेकिन चर्चा अश्विन के शतक पर केंद्रित रही। जडेजा ने मैच में पांच विकेट चटकाए, लेकिन अश्विन ने दूसरी पारी में छह विकेट हासिल करके यहां भी उन्हें पीछे छोड़ दिया।
इस बात पर खूब चर्चा हुई कि अश्विन ने किस तरह से बांग्लादेश के अनुभवी बाएं हाथ के बल्लेबाज शाकिब अल हसन के खिलाफ कोणों का इस्तेमाल करके उन्हें आउट करने की नींव रखी। उन्होंने पहले टेस्ट के बाद कहा, ‘कभी-कभी जब आप अपने साथी क्रिकेटर्स के साथ दौड़ में होते हैं तो आप एक-दूसरे से आगे निकलना चाहते हैं। फिर आप धीरे-धीरे एक-दूसरे की प्रशंसा करने लगते हैं। यह जानते हुए कि मैं जडेजा को कभी नहीं हरा सकता। इसलिए मैं अपने खेल में सहज हूं, लेकिन उन्होंने जो किया है, उससे पूरी तरह प्रेरित हूं।’
साभार नवभारत टाइम्स

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