होली का हर्ष

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कवि - गोपाल गावंडे

रंगों की बौछार है, होली आई,  
संगीत की धुन में सब खो जाई।  
गुलाल की फुहार, मिठाइयों की मिठास,  
हर मन में उत्साह, हर चेहरे पर आभास।  

बच्चों की हँसी, बड़ों की बातें,  
मिल-जुलकर सब करें पुरानी यादें ताज़ा।  
होली के इस पावन पर्व में,  
भूलें सभी गिले-शिकवे, मनाएँ उल्लास।  

प्रेम की भाषा, रंगों की बात,  
जोड़े हृदय से हृदय, अनुपम यह सौगात।  
चाहे हो विपरीत, चाहे हो समान,  
होली बताए, सब हैं एक समान।  

नृत्य, गीत, रंगों का मेल,  
हर्षित हैं सभी, कहीं न कोई झगड़ा खेल।  
होली है वह त्यौहार, जो लाए हर दिल में बहार,  
बिखेरे खुशियाँ, प्यार की बौछार।  

 

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