"मकर संक्रांति: सूर्य की नई दिशा, जीवन में नई आशा"

  • Share on :

मकर संक्रांति: भारतीय संस्कृति का प्रकाश पर्व
मकर संक्रांति भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक ऐसा पर्व है, जो न केवल आध्यात्मिक, बल्कि खगोलीय और सामाजिक दृष्टि से भी विशेष महत्व रखता है। यह त्योहार हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है, जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। यह संक्रमण न केवल ऋतुओं के परिवर्तन का संकेत देता है, बल्कि इसे एक नई ऊर्जा और सकारात्मकता का आरंभ भी माना जाता है।
खगोलीय और आध्यात्मिक महत्व
मकर संक्रांति सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक है। इसे 'उत्तरायण' का आरंभ भी कहा जाता है, जो दिन और रात की अवधि में वृद्धि का संकेत देता है। उत्तरायण को आध्यात्मिक रूप से शुभ माना जाता है और इसे आत्मा की उन्नति और मोक्ष की ओर बढ़ने का समय कहा गया है। महाभारत के भीष्म पितामह ने अपनी देह त्याग के लिए उत्तरायण का समय चुना था।
सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू
मकर संक्रांति भारत के विभिन्न राज्यों में विभिन्न नामों और परंपराओं के साथ मनाई जाती है।
पंजाब में इसे 'लोहड़ी' के रूप में मनाया जाता है, जहाँ आग जलाकर फसल की समृद्धि के लिए आभार व्यक्त किया जाता है।
गुजरात और राजस्थान में 'उत्तरायण' के नाम से यह पर्व पतंगबाजी के साथ मनाया जाता है।
तमिलनाडु में 'पोंगल' और बंगाल में 'पौष संक्रांति' मनाई जाती है, जहाँ मीठे व्यंजनों का विशेष महत्व है।
महाराष्ट्र में तिलगुड़ बाँटने की परंपरा है, जो आपसी प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है।
संक्रांति के व्यंजन और परंपराएं
मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से बने व्यंजन जैसे तिलगुड़, तिल लड्डू और खिचड़ी बनाने की परंपरा है। तिल और गुड़ का मेल केवल स्वाद का नहीं, बल्कि गर्मी और ऊर्जा का भी प्रतीक है, जो ठंड के मौसम में शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक है।
पर्यावरण और कृषि से संबंध
मकर संक्रांति फसल की कटाई का पर्व भी है। यह किसानों के लिए उत्सव का समय होता है, जब उनकी मेहनत रंग लाती है। इस दिन को पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति से जुड़ने का संदेश देने वाला भी माना जाता है।
आधुनिकता और पारंपरिकता का मेल
आज के युग में मकर संक्रांति का महत्व केवल धार्मिक या खगोलीय नहीं है, बल्कि यह त्योहार हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है। पतंगबाजी, सामूहिक भोज, और मेल-मिलाप के माध्यम से यह त्योहार सभी को एकता और सामंजस्य का संदेश देता है।
निष्कर्ष
मकर संक्रांति न केवल सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का पर्व है, बल्कि यह जीवन में उजाले, सकारात्मकता और नई शुरुआत का प्रतीक है। यह त्योहार हमें हमारी संस्कृति, परंपराओं और प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देता है। इस पर्व पर हम सभी को अपने जीवन में नई ऊर्जा का स्वागत करना चाहिए और समाज में प्रेम, भाईचारे और शांति का प्रसार करना चाहिए।
"तिल गुड़ घ्या, गोड़ गोड़ बोला!"
(तिल-गुड़ खाओ और मीठा-मीठा बोलो।)

Latest News

Everyday news at your fingertips Try Ranjeet Times E-Paper