पंजाब के गांव में प्रवासियों को सुनाया निकलने का फरमान

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महाराष्ट्र में हिंदी बनाम मराठी का विवाद पैदा करने की कोशिशें पिछले कुछ दिनों में हुई हैं। इसके अलावा राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने उत्तर भारतीयों को भी निशाने पर लिया है। इस बीच पंजाब के फतेहगढ़ साहिब से भी ऐसी ही खबर है, जहां के एक गांव से प्रवासियों को निकलने का फरमान सुनाया गया है। फतेहगढ़ साहिब जिले के गांव लखनपुर गारचा पट्टी की पंचायत ने गांव में रह रहे प्रवासियों को एक सप्ताह के अंदर निकल जाने को कहा है। पंचायत ने प्रस्ताव पारित किया है कि गांव में काफी लोग अवैध तौर पर रहे हैं और इन्हें एक सप्ताह में निकलने का आदेश दिया जाता है। स्थानीय पुलिस का कहना है कि उसे इस मामले की जानकारी नहीं है।
ग्रामीणों की पंचायत में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि ये प्रवासी लोग महिलाओं से बदसलूकी करते हैं। गांव के सरपंच बरिंदर सिंह बिंडा ने कहा कि ये प्रवासी लोग यहां खेतों में काम करने के लिए आए थे, लेकिन अब ये स्थायी तौर पर यहीं बस गए हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से तमाम ऐसे हैं, जो गांव में घूमते रहते हैं। सिगरेट और बीड़ी पीते हैं। इसके अलावा इनमें से कई लोगों को ड्रग्स की लत लग गई है और उसके प्रभाव में आकर ये लोग चोरियां तक कर रहे हैं। ड्रग तस्करी से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि तमाम प्रयासों के बाद भी इन पर लगाम नहीं लग पाई है। ऐसी स्थिति में हम गांव वालों ने प्रस्ताव पारित किया है कि ये लोग निकल ही जाएं।
सरपंच बरिंदर सिंह बिंडा ने कहा कि उन लोगों को ही यहां रुकने दिया जाएगा, जिनके पास आधार कार्ड हैं या फिर अन्य दस्तावेज हैं। बिना आईडी प्रूफ वाले लोगों को यहां रुकने की परमिशन नहीं होगी। इसके अलावा जो भी ग्रामीण इन लोगों से काम लेंगे, उन्हें पहचान पत्र देखने होंगे और अपने पास रखने होंगे। ऐसा इसलिए ताकि कानून व्यवस्था से जुड़ी कोई समस्या यदि खड़ी होती है तो उसके बारे में आसानी से पता लगाया जा सके। इस मामले में कुछ संगठनों ने दखल देने की कोशिश की है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि आखिर इस बात की गारंटी कौन लेगा कि बिना किसी आईडी प्रूफ के यहां रहने वाले लोग कोई समस्या पैदा नहीं करेंगे।
साभार लाइव हिन्दुस्तान

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