झारखंड में 100 करोड़ से भी ज्यादा का घोटाला, लाखों रुपए कैश और गहने बरामद
रांची। झारखंड में कुछ महीनों पहले एक नौकर के घर से 32 करोड़ रुपए कैश बरामद हुआ था। पहाड़ की तरह करोड़ों रुपए सजा हुआ देख हर कोई हैरान हो गया था। ऐसे में अब दो अलग-अलग विभागों से 109 करोड़ रुपए के घोटाले का खुलासा हुआ है। इसे लेकर छापेमारी की गई। चार लोगों को गिरफ्तार किया गया। वहीं फिर से एक साथ लाखों रुपए कैश और गहने बरामद किए गए हैं।
109 करोड़ का घोटाला
झारखंड विद्युत वितरण निगम और उत्पादन निगम से 109 करोड़ के फर्जी निकासी में एटीएस की एसआईटी ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। धुर्वा थाने में दर्ज केस की जांच के लिए एटीएस एसपी रिषभ झा के अधीन 3 एएसपी स्तर के अधिकारियों की एसआईटी गठित की गई थी। जांच में एसआईटी ने जेटीडीसी के कैशियर गिरिजा प्रसाद सिंह और केनरा बैंक के निफ्ट ब्रांच के तत्कालीन शाखा प्रबंधक अमरजीत कुमार को गिरफ्तार किया। स्वीकारोक्ति पर साजिशकर्ता रुद्र कुमार सिंह को बोकारो सेक्टर 8 ए से गिरफ्तार किया। लोकेश्वर प्रसाद नाम के साजिशकर्ता को डिबडीह क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया।
मिला कैश और गहने का 'छोटा पहाड़'
गिरफ्तार साजिशकर्ताओं की निशानदेही पर उनके ठिकानों से करीब 85 लाख रुपए कैश और 15 लाख के सोने के गहने (प्राप्त कमीशन के पैसों से) बरामद किए गए। राज्य पुलिस मुख्यालय के आईजी अभियान अमोल वी होमकर ने बताया कि कुल एक करोड़ के अपराध से अर्जित की राशि को बरामद किया गया। बताया कि जांच में एनसीसीआरपी पोर्टल/साइबर क्राइम थाना, सीआईडी द्वारा इंडियान साइबर क्राइम कॉ-ऑडिनेशन सेंटर, बैंकों के साथ लगातार समन्वय बनाकरा खाता फ्रिजिंग की कार्रवाई के साथ फर्जी खातों के उद्भेदन की कार्रवाई हो रही है। अभी तक कुल 300 फर्जी खातों की जानकारी मिली है, जिनमें से सबसे ज्यादा फर्जी अकाउंट उत्कर्ष स्मॉल फाइनांस बैंक में खोले जाने की बात सामने आई है। अब तक 39.70 करोड़ रुपये खातों में फ्रिज किये गये हैं।
ऊर्जा निगम में राशि हेरफेर के आरोपियों पर विभागीय कार्यवाही चलाने का आदेश
दूसरी ओर झारखंड ऊर्जा उत्पादन निगम लिमिटेड में 40 करोड़ 50 लाख 500 रुपये के हेरफेर के आरोपी तीन पदाधिकारियों पर विभागीय कार्यवाही चलाने का निर्देश निगम के एमडी रणजीत कुमार लाल ने दिया है। इनमें जयंत प्रसाद-महाप्रबंधक वित्त एवं लेखा, रणजीत कुमार सिंह-उपमहाप्रबंधक, वित्त एवं लेखा और श्रीकांत-वरीय प्रबंधक वित्त एवं लेखा। उत्पादन निगम की प्रारंभिक जांच में इन तीन पदाधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पायी गई है। इस आधार पर एमडी ने तीनों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही चलाने का निर्देश दिया गया है। इसके बाद इन पर आरोप पत्र गठित किया जायेगा। दोष सिद्ध होने पर तीनों पर निलंबन से लेकर बर्खास्तगी तक की कार्रवाई हो सकती है। उत्पादन निगम के इन पदाधिकारियों के खिलाफ चलेगी विभागीय कार्यवाही।
साभार लाइव हिन्दुस्तान