"माँ – एक शब्द, एक संसार"

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(माँ पर आधारित विशेष कविता – मदर्स डे विशेष)

माँ तेरी ममता की छाँव में,
मैंने हर ग़म को हँसकर जिया है।
तेरी गोद ही तो थी वो दुनिया,
जहां सारा आसमां समा गया है।

तेरे बिना तो सांस भी अधूरी लगे,
तेरी दुआओं से ही तो रौशनी जले।
तू थके तो भी मुस्कराए,
मेरे लिए हर दुख को अपनाए।

रोटी खुद जले मगर मुझे खिलाए गरम,
तेरे हाथों का स्वाद, ना मिले किसी भी धरम।
तेरी ऊँगली पकड़ कर ही तो चलना सीखा,
तू दूर हो तो भी मेरा हौसला सींचा।

तेरा होना ही तो है मेरी पहचान,
तेरी ममता है सच्चा वरदान।
माँ, तू शब्द नहीं, भावना है,
ईश्वर का सबसे पवित्र उदाहरण है।

मदर्स डे पर शत्-शत् नमन उस देवी को,
जो हर दिल में बसती है – वो "माँ" है।



✍️ — गोपाल गावंडे
संपादक, रणजीत टाइम्स

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