माँ का आँचल

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मई के उस सुनहरे दिन, गर्मी की तपिश के बीच, नीला अपनी माँ के साथ बाज़ार जा रही थी। नीला की माँ, जो एक अकेली परवरिश करने वाली माँ थीं, हमेशा उसे बतातीं कि कैसे उन्होंने अपनी जिंदगी के कठिन समय में भी नीला की खुशियों को प्राथमिकता दी। वे नीला को खरीदारी के लिए मदर्स डे का उपहार देने वाले थीं।
बाज़ार में पहुँचते ही, नीला ने देखा कि एक बच्चा अपनी माँ का हाथ पकड़े रो रहा था क्योंकि वह खिलौना नहीं खरीद सका। नीला ने अपनी माँ की ओर देखा, जिनकी आँखों में भी नमी थी। उन्होंने बिना सोचे अपने पर्स से कुछ पैसे निकाले और उस बच्चे की माँ को दिए ताकि वह अपने बच्चे को वह खिलौना दिला सके।
यह देखकर नीला को समझ में आया कि मदर्स डे केवल उपहार देने का नहीं, बल्कि दूसरों के लिए प्यार और समर्पण दिखाने का दिन भी है। उस दिन नीला ने अपनी माँ को उपहार तो नहीं दिया, पर उनके सिखाए गए पाठ को आत्मसात किया।
माँ ने मुस्कुराते हुए कहा, "बेटी, जीवन में जब हम दूसरों की मदद करते हैं, तो हमारी खुद की खुशियाँ दोगुनी हो जाती हैं। यही सच्चा उपहार है।"
नीला के लिए यह मदर्स डे विशेष रूप से यादगार बन गया, जहाँ उसने सीखा कि माँ का प्यार और सिखावन किसी भी उपहार से बड़ा हो।

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