**मोहर्रम जुलूस 2025: राजवाड़ा पर आज़ाद नगर गोली कारखाना की झांकी ने जीता First Prize, पूरे शहर का दिल भी
(गुलनाज़ शेख)
इंदौर। शहर के दिल, ऐतिहासिक राजवाड़ा पर इस वर्ष का मोहर्रम जुलूस भव्यता, परंपरा और संस्कृति के मेल का प्रतीक बनकर उभरा। शनिवार रात जैसे ही ताजियों की रवानगी शुरू हुई, पूरा इलाका रोशनी और श्रद्धा से सराबोर हो गया। शहर भर से आई झांकियों और जुलूसों ने इस बार एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी। लेकिन इस भीड़ में जिसने सबसे ज़्यादा तालियां बटोरीं — वह रही "आज़ाद नगर गोली कारखाना" की झांकी।
*कला, परंपरा और अनुशासन का अद्भुत संगम।*
"आज़ाद नगर गोली कारखाना" की परफॉर्मेंस में सिर्फ शारीरिक प्रदर्शन नहीं था — उसमें एक कहानी थी, एक भावना थी, और एक सामाजिक संदेश भी।
उनकी झांकी में ढोल-नगाड़ों की थाप, तलवारबाज़ी के जीवंत दृश्य, और पारंपरिक पोशाकों के साथ युवाओं की अनुशासित चाल ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
प्रस्तुति में ना सिर्फ धार्मिक आस्था झलकती थी, बल्कि युवा पीढ़ी की रचनात्मकता और सशक्त टीमवर्क भी साफ दिखा
???? First Prize की घोषणा और जश्न ।
कार्यक्रम के निर्णायकों ने कई मानकों पर झांकियों का मूल्यांकन किया — जिसमें शामिल थे तालमेल, कला प्रदर्शन, सामूहिक भागीदारी, और सांस्कृतिक प्रस्तुति का प्रभाव।
इन सभी श्रेणियों में आज़ाद नगर की टीम अव्वल रही।
घोषणा होते ही तालियों की गूंज और जश्न की लहर पूरे राजवाड़ा में दौड़ गई।
टीम लीडर ने कहा,
"यह सिर्फ हमारी जीत नहीं है, यह पूरे मोहल्ले की मेहनत और इज्ज़त का परिणाम है। हम हर साल कुछ नया दिखाने की कोशिश करते हैं और इस बार मेहनत रंग लाई।"
भीड़ का उत्साह और सामाजिक जुड़ाव ।
इस कार्यक्रम को देखने के लिए हज़ारों की संख्या में लोग जुटे।
राजवाड़ा से लेकर बम्बई बाज़ार तक पूरा इलाका रोशनी से जगमगा रहा था।
बच्चों, महिलाओं, बुज़ुर्गों सभी ने मोहर्रम की इस परंपरा में उत्साह से भाग लिया।
कई दर्शकों ने बताया कि उन्होंने पहली बार इतना सुसंगठित और भावनात्मक प्रदर्शन देखा, जिसमें परंपरा के साथ आधुनिक प्रस्तुति का भी समावेश था।
पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी रही कड़ी ।
मोहर्रम के जुलूस को शांतिपूर्ण और व्यवस्थित बनाने के लिए पुलिस प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा।
ड्रोन कैमरों, CCTV और महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती ने सुरक्षा व्यवस्था को चाकचौबंद बनाए रखा।
कहीं से भी किसी प्रकार की अव्यवस्था की सूचना नहीं आई।
???? आज़ाद नगर की मेहनत ने बयां किया जज़्बा ।
हर साल मोहर्रम पर झांकियों की तैयारी महीनों पहले शुरू होती है।
इस बार "आज़ाद नगर गोली कारखाना" की टीम ने 40 से अधिक युवाओं को ट्रेनिंग दी, पारंपरिक हथियारों के प्रदर्शन की पूर्व रिहर्सल की और अपने ड्रेस कोड, अनुशासन और स्क्रिप्ट पर विशेष ध्यान दिया।
मोहर्रम जुलूस सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक एकता का प्रतीक है।
इस बार की प्रस्तुति ने ये साबित कर दिया कि जब परंपरा से जुड़ता है आधुनिक सोच, तो कला सिर्फ सराही नहीं जाती — बल्कि इतिहास रच देती है।

