नर्मदा जयंती: माँ नर्मदा की पावन महिमा
भारत की पवित्र नदियों में नर्मदा नदी का एक विशेष स्थान है। नर्मदा नदी केवल एक जलधारा नहीं है, बल्कि इसे भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक माना जाता है। माँ नर्मदा के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाने वाली नर्मदा जयंती हर वर्ष माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है।
माँ नर्मदा का महत्व
नर्मदा नदी को पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव के आशीर्वाद से उत्पन्न माना जाता है। स्कंद पुराण में उल्लेख है कि नर्मदा की उत्पत्ति अमरकंटक से हुई, जिसे 'माँ नर्मदा' का निवास स्थान माना जाता है। यह नदी अपनी 1312 किमी लंबी यात्रा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों से गुजरते हुए अरब सागर में मिलती है।
माँ नर्मदा को "जीवंत नदी" और "मोक्षदायिनी" कहा गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा में स्नान करने से जो पुण्य प्राप्त होता है, वही पुण्य नर्मदा के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता है। यही कारण है कि नर्मदा परिक्रमा का विशेष महत्व है।
नर्मदा जयंती का उत्सव
नर्मदा जयंती पर विशेष रूप से मध्यप्रदेश के अमरकंटक, होशंगाबाद, ओंकारेश्वर और महेश्वर जैसे स्थलों पर भव्य आयोजन किए जाते हैं। भक्तजन माँ नर्मदा की पूजा-अर्चना कर, आरती करते हैं और दीपदान करते हैं।
मंदिरों को भव्य रूप से सजाया जाता है और नर्मदा तट पर मेलों का आयोजन होता है। यह दिन भक्तों के लिए न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का, बल्कि प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का भी अवसर है।
नर्मदा और पर्यावरण संरक्षण
माँ नर्मदा हमारे जीवन की आधारशिला हैं। उनकी निर्मलता और प्रवाह हमारी धरती की समृद्धि और संतुलन का प्रतीक है। लेकिन आज प्रदूषण और अंधाधुंध दोहन से नदियों की स्थिति दयनीय होती जा रही है। नर्मदा जयंती के दिन हमें संकल्प लेना चाहिए कि न केवल नर्मदा बल्कि सभी नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाएंगे।
संदेश
नर्मदा जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह हमें प्रकृति और संस्कृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने की प्रेरणा देती है। माँ नर्मदा के प्रति आस्था केवल पूजा तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उनके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने की जिम्मेदारी भी हमारी है।
आइए, इस पावन पर्व पर माँ नर्मदा से प्रार्थना करें कि वे हमें सद्बुद्धि और शक्ति दें, ताकि हम उनकी निर्मलता और पवित्रता को बनाए रख सकें।
- संपादकीय टीम
आपका गोपाल गावंडे