निजी स्कूलों के लिए फीस वृद्धि पर नई नियमावली जारी... अलग से नहीं ले सकेंगे परिवहन शुल्क
भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने निजी स्कूलों की फीस वृद्धि पर नए नियम लागू किए हैं। 25,000 रुपये तक फीस लेने वाले स्कूल अब फीस नियंत्रण अधिनियम से बाहर होंगे और 15% से अधिक फीस वृद्धि के लिए जिला समिति की अनुमति आवश्यक होगी। इसके साथ ही, परिवहन शुल्क अब वार्षिक फीस में ही शामिल किया जाएगा। इसको लेकर विधेयक मंगलवार को विधानसभा में पेश किया गया। विधानसभा में पारित होने के बाद अब विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
मध्य प्रदेश सरकार ने निजी स्कूलों के लिए फीस वृद्धि पर नई नियमावली जारी की है, जिससे स्कूलों और अभिभावकों दोनों को राहत मिलने की उम्मीद है। नए नियमों के तहत, 25,000 रुपये तक वार्षिक फीस लेने वाले स्कूल अब फीस नियंत्रण अधिनियम के दायरे में नहीं होंगे। हालांकि, यदि ये स्कूल अपनी फीस में 15% से अधिक वृद्धि करते हैं, तो उन्हें जिला समिति से अनुमति लेना आवश्यक होगा। इसके साथ ही, परिवहन शुल्क को अब वार्षिक फीस का हिस्सा माना जाएगा, जिससे स्कूलों को अतिरिक्त शुल्क नहीं वसूलने की अनुमति नहीं होगी।
मध्य प्रदेश में लगभग 34,652 निजी स्कूल हैं, जिनमें से लगभग 16,000 स्कूलों की वार्षिक फीस 25,000 रुपये से कम है। नए संशोधित नियमों के मुताबिक, ऐसे स्कूलों को 10% तक फीस बढ़ाने की अनुमति होगी, लेकिन 15% से अधिक वृद्धि के लिए जिला समिति से पूर्व अनुमति आवश्यक होगी। इसके अलावा, अब तक स्कूल जो परिवहन शुल्क अलग से लेते थे, उसे भी वार्षिक फीस का हिस्सा बना दिया गया है। इससे अभिभावकों को अतिरिक्त वित्तीय बोझ से राहत मिलेगी, क्योंकि अब कोई स्कूल बस शुल्क अलग से नहीं वसूल सकेगा।
नए नियमों के तहत, स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि पर शिकायत करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा, जो राज्य शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में कार्य करेगी। यह समिति उन मामलों की सुनवाई करेगी, जिसमें किसी स्कूल ने 15% से अधिक फीस बढ़ाई हो। इसके अलावा, विभागीय समिति द्वारा किसी स्कूल पर लगाए गए दंड को बढ़ाने या घटाने का अधिकार भी इस समिति को होगा।
साभार अमर उजाला