नो कार-डे : महापौर, सहित कई प्रशासनिक अधिकारी सायकल से पहुंचे दफ्तर, कलेक्टर सिटी बस से पहुंचे....

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इंदौर। शहर आज नो कर डे  मना रहा है। कलेक्टर इलैया राजा टी सिटी बस का सफर करके ऑफिस पहुंचे। इससे पहले वे घर से पैदल ही निकले। उन्होंने सिटी बस काउंटर से टिकट खरीदा और फिर बस में बैठे। बस में उन्होंने युवाओं से नो कार डे को लेकर चर्चा भी की। इससे पहले उन्होंने ठेले से अमरूद भी खरीदे। वहीं सहित प्रशासनिक अधिकारी सायकल से दफ्तर पहुंचे।
प्रशासनिक अधिकारियों और इंदौर विधानसभा एक से कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला ने भी नो कार डे का समर्थन करते हुए ई रिक्शा से शहर में घूमने की बात कही है। महापौर, कलेक्टर, पुलिस कमिश्नर, संभागायुक्त से लेकर सरकारी विभागों के अधिकारी कार का उपयोग नहीं कर र हे हैं। इनके अलावा निगम, प्रशासन और अन्य विभागों के अधिकारी व कर्मचारी भी कार नहीं चला रहे।
शहर की 83 फीसदी आबादी निजी वाहनों का उपयोग कर रही है। महज 8 से 9 फीसदी लोग ही लोक परिवहन में सफर कर रहे हैं। इस वजह से आए दिन सडक़ों पर जाम के हालात बन जाते हैं। ट्रैफिक जाम से राहत और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए शहर में शुक्रवार को नो-कार डे मनाया जा रहा है।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव, कलेक्टर इलैया राजा टी., यातायात विभाग के डीसीपी मनीष अग्रवाल सहित पूरी टीम ने पहले ही तैयारी कर ली थी। अपर कलेक्टर रोशन राय सहित कई एसडीएम, तहसीलदार साइकिल से ऑफिस आए। नगर निगम के सभी अपर आयुक्त सहित अन्य अधिकारियों-कर्मचारी चार पहिया वाहनों का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। नो कार डे अभियान का समर्थन हाईकोर्ट इंदौर बेंच ने भी किया है। हाईकोर्ट ने पत्र जारी कर नो कार डे पर कार की जगह दो पहिया वाहन का प्रयोग करने के निर्देश दिए हैं।
महापौर ने कहा यह एक इनिशिएटिव
महापौर पुष्यमित्र भार्गव का कहना है कि नो कार डे एक इनिशिएटिव है। वल्र्ड कार फ्री डे 22 सितंबर को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत हम इंदौर में भी कर रहे हैं। हम देखेंगे कि शहर में कितनी कारें कम आती हैं। इससे शहर के पर्यावरण, यातायात और पब्लिक ट्रांसपोर्ट की क्या तैयारी हमें करनी होगी, इसकी जानकारी जुटाएंगे। शहरवासियों से आग्रह किया है कि वे आज कार का उपयोग नहीं करें। पब्लिक ट्रांसपोर्ट, बाइक या साइकिल का आने-जाने के लिए उपयोग करें।
35 लाख की आबादी वाले शहर में 21 लाख कारें
गौरतलब है 35 लाख की आबादी वाले इस शहर में फिलहाल चार पहिया वाहनों की संख्या 21 लाख पार कर गई है। इस वजह से आए दिन ट्रैफिक जाम की स्थिति रहती है। यदि एक दिन के लिए शहर की सडक़ों को कारों से मुक्त किया जा सके, तो वायु प्रदूषण में काफी हद तक सुधार हो सकता है। इसके अलावा कारों के विकल्प के रूप में लोक परिवहन के साधनों की भविष्य आधारित व्यवस्था पर भी विचार किया जा सकता है। इस साल स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में इंदौर नंबर वन आया, लेकिन यह पुरस्कार शहर को इसे सुधारने के प्रयासों के लिए दिया गया। कार में ईंधन के जलने से हर वर्ष करीब 21 हजार लीटर पानी बनता है, जो बेकार चला जाता है। इसी तरह हर साल इन वाहनों से निकलने वाली गैस पर्यावरण को दूषित कर रही हैं।

 
 

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