पापा की याद में

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पापा, आपका वो साथ आज भी याद आता है,
आपके बगैर मुझे बड़ा बेचैन सा लगता है।

आपकी वजह से हमारी शान थी,
मौज भी थी और मस्ती भी।

जब भूख लगती थी, आप प्यार से खिलाते,
संकट के बादलों में, आप परिवार के सामने छत बनकर खड़े होते।

हर मुश्किल से लड़ना सिखाया आपने,
खुद दुखों का सामना कर, हमें सुख दिया आपने।

अपना शरीर जलाकर,
हमारा आशियाना बनाया आपने।

भूख-प्यास सब भूलकर,
हमारे लिए दाना-पानी लाया आपने।

बड़ी याद आती है पापा, आपकी!
आप जहाँ भी हो, जैसे भी हो, खुश रहो, यही दुआ है हम सबकी।

मेरे गुरु, मेरे आदर्श, मेरे अन्ना,
आप सदैव मेरे साथ रहेंगे।

कवि: गोपाल गावंडे, इंदौर

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