CAA के लागू होते ही देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन, पिछली बार गई थी 100 से अधिक लोगों की जान
नई दिल्ली। भारत में सीएए यानी नागरिकता (संशोधन) अधिनियम-2019 लागू हो चुका है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सोमवार को सीएए को लागू करने की घोषणा की। विवादास्पद कानून को पारित किए जाने के चार साल बाद केंद्र के इस कदम के कारण पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि कानून के लागू होते ही देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो रहे हैं। बता दें कि इसके पहले सीएए विरोधी प्रदर्शनों या पुलिस कार्रवाई के दौरान 100 से अधिक लोगों की जान चली गई थी।
असम में विपक्षी दलों ने सोमवार को सीएए लागू करने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार की आलोचना की। वहीं, राज्यभर में सीएए के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों के एक समूह और प्रभावशाली ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) सहित लगभग 30 छात्र संगठनों और स्वदेशी निकायों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज करने का फैसला किया है। वहीं, 16 दल वाले संयुक्त विपक्षी मंच, असम (यूओएफए) ने मंगलवार को राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा भी की है।
ज्ञात हो कि असम में दिसंबर 2019 में विवादास्पद कानून के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन देखा गया था। इसके बाद पुलिस कार्रवाई में 5 लोगों की मौत हो गई थी। कई स्वदेशी समूहों में यह डर है कि सीएए लागू होने के बाद, इससे राज्य में अवैध अप्रवासियों की आमद बढ़ जाएगी, खासकर बांग्लादेश से आने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी।
एएएसयू के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने हमारे सहयोगी हिन्दुस्तान टाइम्स (एचटी) को बताया, "हम किसी भी तरह से सीएए को स्वीकार नहीं करेंगे और असम के लोगों के लिए हानिकारक इस कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण, अहिंसक और लोकतांत्रिक विरोध जारी रहेगा और आने वाले दिनों में यह विरोध और तेज होगा।" उन्होंने कहा कि एएएसयू और 30 अन्य समूह सोमवार शाम को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में सीएए की प्रतियां जलाएंगे, जिसके बाद नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (एनईएसओ) के बैनर तले मंगलवार को पूर्वोत्तर के सभी राज्यों की राजधानी में इसी तरह का विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “मंगलवार शाम को पूरे असम में मशाल रैली निकाली जाएगी और आने वाले दिनों में अन्य विभिन्न तरीकों से विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। हमने सीएए के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के लिए पहले ही आवेदन कर दिया है।" असम में 16 विपक्षी दलों के मंच, कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त विपक्षी मंच (यूओएफ) और प्रभावशाली ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) सहित लगभग 30 संगठनों ने लोकसभा चुनावों से पहले सीएए के खिलाफ राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है।
साभार लाइव हिन्दुस्तान