शास्त्रीय संगीत पर आधारित राग व वाद्ययंत्र हमारे सूक्ष्म चक्रों को सशक्त बनाते हैं

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सहज योग में संगीत व  वाद्य यंत्रों पर ध्यान करने का महत्व बहुत ज्यादा है। हमने कई बार इस बात को अपने जीवन में घटित पाया होगा कि जब हम कोई कार्य करते हुये धीमी आवाज में सुमधुर संगीत सुनते हैं तो मन को कार्य करते हुये थकान का अनुभव नहीं होता है।  आजकल तो यह भी सुना जा रहा है कि फलों और सब्जियों के उत्पादन में,  गाय से अधिक दूध प्राप्त करने में संगीत का प्रयोग हो रहा है। 
 हमारे शरीर के अंदर के सभी सूक्ष्म शक्ति केन्द्र यानि हमारे चक्र भी ईश्वर से जुड़े हैं और शास्त्रीय संगीत एवं वाद्य यंत्र भी ईश्वरीय उपासना के ही स्त्रोत हैं। एक सुर या लय में गाया गया गीत जल्द ही ईश्वर तक पहुंचता है।  भजन व आरती भी इसी उद्देश्य से गाये जाते हैं।  सहज योग में हमने यह जाना है कि ईश्वर हमारे ही अंदर हैं, अतः हम संगीत से अपने ही अंदर के ईश्वर को आनंदित करते हैं।
  हमारी परम पूज्य श्री माताजी ने चक्रों की जागृति हेतु हर चक्र का अलग राग बताया है व वाद्य यंत्र भी हर चक्र के अलग अलग हैं।   यदि हम ध्यानावस्था में संबंधित चक्र पर उस चक्र के राग या वाद्य यंत्र को सुनते हुये ध्यान करते हैं तो चक्र सशक्त होता है जैसे चक्रों को पोषण मिल रहा हो। 
   हमारे चक्र सात हैं और संगीत के सुर भी सात हैं सा रे गा मा पा धा नि।  मूलाधार के लिए सा, स्वाधिष्ठान के लिए रे, नाभी के लिए गा, हृदय के लिए मा, विशुद्धि के लिए पा, आज्ञा के लिए धा, और सहस्त्रार के लिए नि।  यदि हम मूलाधार से सहस्त्रार तक हर चक्र पर संबंधित सुर लगाते हुये ऊपर को जायें तो पायेंगे कि चैतन्य का प्रवाह तेज हो गया है।  
 राग और वाद्य यंत्र जो हर चक्र पर प्रभावी होते हैं उनका विवरण इस प्रकार है:- 
1 मूलाधार चक्र :    राग - श्याम कल्याण/ बिलावल, वाद्य यंत्र- शहनाई 
2 स्वाधिष्ठान चक्र :  राग : तोड़ी / यमन  ,      वाद्य यंत्र - वीणा 
3 नाभि चक्र : राग -  ललित / गुनकली,   
    वाद्य यंत्र - संतूर
4 भवसागर : राग - मालकौंस 
5 हृदय चक्र : राग - भैरवी/दुर्गा/भैरव 
    तबला-मृदंग
6 विशुद्धि चक्र : राग -  जय-जयवंती, 
    वाद्य यंत्र -  बॉंसुरी
7 आज्ञा चक्र : राग - भूप /बागेसरी, 
     वाद्य यंत्र - सरोद
8 सहस्त्रार  चक्र -  राग -  दरबारी / भैरवी , 
     वाद्य यंत्र  -  सितार
ध्यान के समय सुनियोजित तरीके से श्री माताजी के प्रवचन के साथ साथ राग या वाद्य यंत्र को सुनकर ध्यान करना, ध्यान को पूर्णता  प्रदान करता है।  इससे हमारे चक्र तो शक्तिशाली होते ही हैं, हमारा चेहरा भी तेजोमय हो जाता है। यदि किसी चक्र पर समस्या है तो उस चक्र का राग या वाद्य यंत्र दो तीन दिन लगातार सुनकर उस चक्र को प्रभावी करें। 
इस अनूठी ध्यान पद्धति से जुड़ने हेतु व आत्मसाक्षात्कार  को प्राप्त करने हेतु अपने नज़दीकी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 से प्राप्त कर सकते हैं या वेबसाइट www.sahajayoga.org.in पर देख सकते हैं। सहज योग पूर्णतया निशुल्क है।

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