"मुनिगण वंदित मोक्षप्रदायिनी "श्री महालक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करें सहज योग ध्यान से।
परमपूज्य श्री माताजी प्रणित सहज योग महालक्ष्मी पथ है ,जो हमें श्री महालक्ष्मी जी के उत्थान मार्ग पर अग्रसर करता है | सहज योग में दिवाली मनाना यानि अपना अंतस्थित दीप प्रकाशित करना | सहज योग में आत्मसाक्षात्कार प्राप्ति के बाद हमें तत्क्षण निर्विचार समाधि प्राप्त होती है | सुषुम्ना पथ ही महालक्ष्मी पथ है और यही श्री महालक्ष्मी का अंतर पूजन है | इस प्रकार जब हम श्री महालक्ष्मी की पूजा करते हैं तो वे हमें चहुं ओर से आशीर्वादित कर, आनंद प्रदान करती हैं | लक्ष्मी का अर्थ केवल पैसा नहीं है | परमपूज्य श्री माताजी कहते हैं, जब हम लक्ष्मी के स्वरूप को नहीं जान पाते तो हम गलत रास्ते पर जाते हैं | दिवाली का दिन बहुत शुभ माना जाता है | आपको सिर्फ लक्ष्मी जी को अपने हृदय में , अपने चित्त में , अपने मन मंदिर और मस्तिष्क में बिठाना है | उनके श्री चरण कमलों को अपने हृदय में स्थापित कर, आनंददायी चैतन्य लहरियों का अमृत रसपान करना है | जो हमें हमारे सहस्रदल कमल से प्राप्त होता है और संपूर्ण शरीर में फैलकर हमें आत्मानंद, निरानंद और अखंड आनंद प्रदान करता है | ये सौंदर्य लहरियां हमें जब प्राप्त होंगी, तो हम उस श्री महालक्ष्मी का हृदय से,भक्तिभाव से गुणगान करेंगे | आत्मसाक्षात्कार प्राप्ति के बाद हर दिन नियमित का ध्यान करेंगे, तो वे सारी अष्टलक्ष्मी हमें आशीर्वादित करेंगी |
अष्टलक्ष्मी में प्रथम हैं - आद्य लक्ष्मी, जो समुद्र से अर्थात जलसे उत्पन्न हुई हैं और जो हमें आत्मसाक्षात्कार से अलंकृत करती हैं | द्वितीय विद्यालक्ष्मी - हमें आत्मसाक्षात्कार को कैसे संभालना है ये सिखाती हैं | विद्यालक्ष्मी हमें परमेश्वर के इस ज्ञान का सम्मानपूर्वक उपयोग करने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं |
तृतीय सौभाग्य लक्ष्मी - ये हमें आत्मज्ञान का सौभाग्य प्रदान करती हैं | सौभाग्य का अर्थ केवल पैसा नहीं, अपितु श्री महालक्ष्मी जी का आशीर्वाद है |
चतुर्थ अमृत लक्ष्मी - ये हमें चैतन्य का अमृत रसपान कराती हैं |आत्मसाक्षात्कार के बाद प्रतिदिन के ध्यान में साधक के सहस्रार चक्र से अमृत रस का झरना बहता रहता है ,जो उसे निरोगी काया और दिव्य शिव सानिध्य प्रदान करता है |
पंचम गृहलक्ष्मी - हमारे घर मे सुख , शांति ,समाधान, घर के प्रत्येक सदस्य के अंतकरण मे स्थिरता और शांतता का आशीर्वाद प्रदान करती है |
षष्ठ राजलक्ष्मी - हमें राजपद प्रदान करती हैं, आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति गरिमामय पद्धति से जीवन यापन करता है | उसकी तबियत एक राजा जैसी बन जाती है|
सप्तम सत्य लक्ष्मी - इनके आशीर्वाद से साधक की चेतना में सत्य प्रस्थापित होता है | अष्टम् योग लक्ष्मी - ये हमें योग प्रदान करती हैं । इसी योग लक्ष्मी के कारण हम सभी का परमशक्ति से योग होता है तथा इस का विस्तार हम अन्यान्य लोगों तक कर पाते हैं |
ये सारे लक्ष्मी तत्व हमारे हृदय मे विद्यमान हैं परंतु इसकी अभिव्यक्ति हमारे मस्तिष्क से होनी चाहिये | सहज योग हमे एक विशेष व्यक्तित्व प्रदान करता है।
सहज योग के इस निर्मल ज्ञान का हमें सम्मानपूर्वक उपयोग करना है | अष्टलक्ष्मी के ये सारे आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आज ही सहजयोग ध्यान का अनुभव प्राप्त करें।
सहज योग निशुल्क भी है और आसान भी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 अथवा यूट्यूब चैनल लर्निंग सहजयोगा से प्राप्त कर सकते हैं।

