जीवन की जटिलताओं का सही समाधान प्रस्तुत करता है - सहज योग

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जीवन है तो उतार चढ़ाव‌ आते ही रहेंगे, यही उतार चढ़ाव जीवन को अर्थपूर्ण बनाते हैं।   कभी कहीं  कोई बाधा आये तो उस बाधा से निकलने का दौर सकारात्मक दृष्टिकोण वालों के लिए रोमांचक होता है और बाधा से मुक्त होते ही मिलती है आत्मिक संतुष्टि और जीतने की खुशी। 
   परंतु सत्य तो यह है  कि जीवन में आने वाली इन जटिलताओं को सहजता से लेना तभी संभव होगा जब हम संतुलन में हों।   जरा सी तकलीफ होते ही घबरा जाने की प्रवृत्ति हमारी परेशानी को और बढ़ा देती है फलस्वरूप  समस्या का समाधान मिलना मुश्किल हो जाता है। आज के दौर में जब समाज व विश्व में अशांति की स्थिति बनी हुई है तब इन‌ सबसे तटस्थ रह पाना मुश्किल हो जाता है।  पर, हमें समाज और विश्व की समस्याओं पर विचार करते हुए भी, उन समस्याओं का हिस्सा होते हुये भी मनस्थिति पर काबू पाने का गुर आना चाहिए।   यह आज के दौर की आवश्यकता है।  यदि हम स्वयं पर काबू नहीं रख पाते हैं तो स्वयं भी दुखी रहेंगे और परिवार को भी नहीं संभाल पायेंगे।  परिवार के सभी सदस्यों को सहज योग विधा को सीखना चाहिए ताकि जीवन के हर पड़ाव पर शांति से रह सकें। 
       प्रसन्नता और शांति अपने अंदर ही है तो उसकी तलाश में भागना क्यों?   हम स्वयं अपनी प्रसन्नता के उद्गम हैं,  हमारे अंदर से ही चैतन्य का स्त्रोत प्रवाहित होता है  जिससे हम परमेश्वरी शक्ति का आभास पाते हैं।   
      ज्यादातर लोग यह जानते हैं कि परमात्मा का निवास हमारे अंदर है पर इसका अनुभव‌ नहीं कर पाने से वे असमंजस की स्थिति में रहते हैं। सहज योग की संस्थापिका परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी ने कुंडलिनी जागरण और ध्यान योग की इस विधा को जन जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया और साधकों को आत्मसाक्षात्कार देकर अपने अंदर की ईश्वरीय शक्ति का आभास कराया।  आज लाखों लोग सहज योग के माध्यम से ध्यान करते हुये निश्चिन्त शांतिपूर्ण जीवन जी रहे हैं।  24 ‌‌सितंबर 1995 के‌ प्रवचन में श्री माताजी ने कहा कि
"सहज योग से ये सभी छोटी-छोटी समस्याएं आसानी से हल हो सकती हैं। लेकिन एक बात यह है कि आपको एक व्यक्ति के रूप में एकजुट होकर काम करना चाहिए, एक संघ का अभिन्न अंग। और यह भी समझने की कोशिश करें कि आप अपनी समस्याओं को कैसे हल कर सकते हैं... ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिनके बारे में आप सोच सकते हैं क्योंकि अब आप आत्मसाक्षात्कारी आत्मा हैं क्योंकि ईश्वर की मदद है और साथ ही आप खुद भी बहुत सतर्क हो गए हैं।"
     संघ से श्री माताजी का तात्पर्य सहज योग की सामुहिकता से है।  भारत व‌ विदेशों में भी किये गये चिकित्सा शोध ने यह दर्शाया है कि सहज योग के माध्यम से शारीरिक और मनोदैहिक रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है। हम परमात्मा से जुड़े बिना अपने जीवन का अर्थ नहीं जान सकते हैं। ‌‌जैसे ही हमें अपने जीवन का अर्थ समझ में आ जायेगा, हमारे जीवन में पूर्णकालिक वसंत का प्रवेश हो जायेगा। हर जटिलता को सही समाधान मिलेगा। 
चलिये सहज योग से जुड़ते हैं।  सहज योग निशुल्क भी है और आसान‌ भी सहजयोग ध्यान केंद्र की जानकारी हेतु टोल फ्री नंबर 1800 2700 800 वेबसाइट www.saha jayoga.org.in

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