सैटेलाइट टोल टैक्स योजना रद्द: जासूसी के डर से केंद्र सरकार ने लिया फैसला
केंद्र सरकर की बहुप्रतिक्षित सेटेलाइट से टोल टैक्स वसूलने की योजना खटाई में पड़ गई है। फिलहाल इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। वाहनों में ट्रैकिंग डिवाइस लगाने से जासूसी की आशंका और आम लोगों की निजता से समझौता होने की चिंता के चलते यह कदम उठाया गया है। खास बात है कि पहले सरकार भी साफ कर चुकी है कि 1 मई से सैटेलाइट से टोल कलेक्शन को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है।
राष्ट्रीय राजमार्गों को टोल प्लाजा मुक्त करने और जितनी दूरी, उतना टोल टैक्स के सिद्धांत पर आधारित जीएनएसएस (सैटेलाइट आधारित टोल प्रणाली) को स्थगित कर दिया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिकों की गोपनीयता को ध्यान में रखते हुए लिया गया।
इस तकनीक के तहत हर वाहन में ऑन-बोर्ड यूनिट (ओबीयू) ट्रैकिंग डिवाइस लगाना अनिवार्य था। इससे वाहन की रूट, स्टॉपेज, गति और गंतव्य जैसी जानकारी लगातार रिकॉर्ड होती रहती। अधिकारी के अनुसार इस डाटा के दुरुपयोग से आम नागरिकों के निजी जीवन में दखल और वीआईपी मूवमेंट की जानकारी लीक होने का खतरा था, जो सुरक्षा के लिहाज से गंभीर जोखिम है।
सरकार ने बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेसवे और हरियाणा के कुछ हिस्सों में इसका ट्रायल किया था। योजना के अनुसार हाईवे पर जितनी दूरी गाड़ी तय करेगी, सैटेलाइट के जरिए उतनी ही राशि सीधे बैंक खाते से कटनी थी।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव वी उमाशंकर ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि सैटेलाइट आधारित टोल संग्रह योजना को स्थगित कर दिया गया है। इस तकनीक से वाहन की लोकेशन और वाहन चालक का डाटा ट्रैक किया जाना संभव था। अब मंत्रालय ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (एएनपीआर) योजना पर काम कर रहा है, जिसमें किसी डिवाइस की जरूरत नहीं होगी। हाईवे पर लगे कैमरे नंबर प्लेट पढ़कर मौजूदा फास्टैग वॉलेट से ही टोल राशि काट देंगे।
साभार लाइव हिन्दुस्तान

