आत्मानुभूति जीवन में सबसे सुन्दर अवस्था है : श्री माताजी

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श्री माताजी द्वारा प्रतिस्थापित सहजयोग ध्यान, कुंडलिनी जागरण तथा  आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति पर आधारित है। परंतु वास्तविक प्रश्न यह है कि आत्मसाक्षात्कार वस्तुत: क्या है तथा इसे पाना क्यों आवश्यक है? साथ ही जिज्ञासा यह भी उठती है की आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति के पश्चात हमें क्या उपलब्धि हासिल होती है। कुंडलिनी जागरण द्वारा आत्मसाक्षात्कार अर्थात् आत्मबोध  के विषय में श्री माताजी ने अपनी अमृतवाणी में वर्णित किया है कि,
   "जब आपको आत्मबोध हो जाता है, तो आपका पूरा तन, मन, सब कुछ एकीकृत हो जाता है और आप जो कुछ भी करते हैं वह आनंद प्रवाहित करता है। अब यह सब आपके लिए बहुत विलक्षण है। मैं जानती हूं कि यह आपके लिए बहुत ज्यादा है, बहुत ज्यादा है.... यह सबसे महत्वपूर्ण बात है। यह एकमात्र चीज़ है जिसे आपको हासिल करना है। बेकार के चमत्कारों में न जाएं। अपनी आत्मा के चमत्कारों को मांगें। जब आत्मा की अभिव्यक्ति होती है, आप आश्चर्यचकित हो जाएंगे कि आप कितना सुन्दर महसूस करते हैं, और कितनी सुन्दरता से आप इसे कार्यान्वित करते हैं, क्योंकि आपने अपनी पूर्णता को पा लिया है, आपको अपनी मंजिल मिल गई है, आप अपने लक्ष्य तक पहुंच गए हैं।" (17 जुलाई 1980)
आत्मतत्व की प्राप्ति के सवाल पर अधिकांशत: यह संदेह उत्पन्न होता है कि यह महान, मनीषियों के लिए तो संभव है परन्तु क्या भौतिक जगत में रहते हुए साधारण मनुष्यों को इसकी प्राप्ति हो सकती है। वर्तमान में श्री माताजी की अनुकम्पा से यह सर्वसुलभ है तथा अत्यंत सहज है। सर्वधर्म व संपूर्ण विश्व के लाखों सामान्य व्यक्तियों ने इसे प्राप्त किया है। आप भी इस आनंद को सहज में ही पा सकते हैं।
सहजयोग से संबंधित  जानकारी निम्न साधनों से प्राप्त कर सकते हैं। यह पूर्णतया निशुल्क है। टोल फ्री नं – 1800 2700 800

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