शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने बताई अयोध्या न जाने की असली वजह

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नई दिल्ली। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन में चारों शंकराचार्यों के न जाने का मुद्दा तूल पकड़ रहा है। कांग्रेस समेत विपक्ष शंकराचार्यों की राय का जिक्र करते हुए मोदी सरकार पर हमला बोल रहा है। वहीं पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने एक बार फिर से दोहराया है कि वह इस आयोजन में नहीं आएंगे। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा में न जाने का फैसला हमारे अहंकार से जुड़ा नहीं है बल्कि यह परंपरा की बात है। उन्होंने कहा कि सनातन परंपरा से उलट काम होने के चलते हम इस आयोजन में नहीं जा रहे हैं। 
उन्होंने एएनआई से बातचीत में कहा, 'शंकराचार्यों की अपनी एक गरिमा है। यह अहंकार की बात नहीं है। क्या हमसे यह अपेक्षा की जाती है कि हम बाहर बैठें और जब पीएम प्राण प्रतिष्ठा करें तो बाहर बैठकर ताली बजाएं। एक सेकुलर सरकार का यह काम नहीं है कि वह परंपराओं से छेड़छाड़ करे।' शंकराचार्यों की ओर से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को किए जाने को भी गलत बताया था। उनका कहना था कि यह तारीख ठीक नहीं है। ऐसा आयोजन राम नवमी के दिन किया जाना चाहिए। हालांकि बाद में दो शंकराचार्यों ने खबरों को खारिज करते हुए आयोजन पर खुशी जताई थी, लेकिन यह भी साफ किया कि वे इस कार्यक्रम में नहीं जाएंगे।
बता दें कि शंकराचार्यों की राय के बहाने कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियां भी सरकार को घेर रही हैं। कांग्रेस यह तर्क भी दे रही है कि मंदिर का निर्माण अभी चल ही रही है। ऐसे में अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करना सनातन धर्म की परंपरा के विपरीत है। अशोक गहलोत ने कहा कि सनातन धर्म के सर्वश्रेष्ठ गुरु शंकराचार्य कार्यक्रम में नहीं जा रहे हैं। इससे साफ है कि हमारा फैसला सही है। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने पूरे आयोजन का राजनीतिकरण कर दिया है। यही वजह है कि हमारे सनातन धर्म के शीर्ष गुरु शंकराचार्य भी आयोजन में नहीं जा रहे हैं। यदि वे कुछ कह रहे है तो उसकी अहमियत है।
साभार लाइव हिन्दुस्तान

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