मालवा निमाड़ की चार सीटों पर सबसे कम वोटिंग ने चौंकाया, मानी जाती है भाजपा-कांग्रेस का गढ़

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इंदौर। मालवा निमाड़ में भाजपा और कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली कुछ सीटों पर भी बंपर वोटिंग ने उम्मीदवारों को चौकाया है। अब वे इस गुणा भाग में जुटे है कि बढ़ा हुआ वोटिंग प्रतिशत किसके पक्ष में रहेगा और कौन सी लहर ने काम किया, लेकिन मालवा निमाड़ की चार सीटों पर जिलों में सबसे कम वोटिंग हुई है। इन चारों सीटों पर दोनो दलों ने अपने विधायकों को दोबारा चुनाव लड़ाया है।
इंदौर की दो नंबर विधानसभा में जिले में सबसे कम वोटिंग से भी चुनावी विशेषज्ञ अश्चर्य में है। यहां से तीन बार लगातार चुनाव जीते विधायक रमेश मेंदोला प्रदेश में सबसे ज्यादा वोटों का रिकार्ड भी बना चुके है, लेकिन इस बार इतना 67प्रतिशत ही मतदान रहा।
इसके अलावा धार जिले की गंधवानी सीट पर भी धार जिले में सबसे कम मतदान 73 प्रतिशत रहा। इस सीट से लगातार कांग्रेस विधायक उमंग सिंगार चुनाव जीतते रहे है। इस जिले की दूसरी सीटों पर 75 से लेकर 83 प्रतिशत तक मतदान हुआ है।
रतलाम सिटी में भी जिले में सबसे कम वोटिंग हुई है। यहां 73 प्रतिशत मत पड़े, जबकि जिले के दूसरे विधानासभा क्षेत्रों में 80 प्रतिशत से ज्यादा वोट डाले गए। मालवा निमाड़ के सबसे धनवान विधायक चैतन्य कश्यप रतलाम सीट से दूसरी बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े है। इसके अलावा देवास विधानसभा में भी जिले में सबसे कम 74 प्रतिशत मतदान हुआ है। इस सीट पर गायत्री राजे पंवार को तीसरी बार भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। जिले के दूसरे विधानसभा क्षेत्रों में 80 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग हुई है।
धार जिले में सबसे ज्यादा मतदान वाली सीट बदनावर रही। इस सीट पर दोनो प्रत्याशी पिछली बार भी मैदान में थे, लेकिन इस बार दोनो ने अपने अपने दल बदल कर चुनाव लड़ा। धार सीट पर 78 प्रतिशत मतदान रहा। निमाड़ की खरगोन सीट पर सबसे ज्यादा 88 प्रतिशत मतदान हुआ है। इस सीट पर कांग्रेस से रवि जोशी और भाजपा से बालकृष्ण पाटीदार चुनाव मैदान में है। खरगोन में दो साल पहले दंगे भी हो चुके है। हरसूद सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है। यहां 79 प्रतिशत मतदान हुआ है। इस सीट से लगातार विजय शाह चुनाव जीतते आ रहे है।
साभार अमर उजाला

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