ठंड में बेसहारा बुजुर्गों का सहारा बने समाज

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मानवता का धर्म निभाएं, जरूरतमंदों की मदद करें

सर्दियों के आते ही जब संपन्न परिवार गर्म कपड़ों और स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेते हैं, तब समाज के एक बड़े वर्ग के लिए यह मौसम संघर्ष और कठिनाइयों का कारण बनता है। ये वे बुजुर्ग और बेसहारा लोग हैं, जिनके पास न तो सिर छुपाने का ठिकाना है और न ही ठंड से बचने के लिए पर्याप्त साधन। इनकी मदद करना केवल हमारी नैतिक जिम्मेदारी ही नहीं, बल्कि मानवता का धर्म भी है।

ठंड में बेसहारा बुजुर्गों की समस्याएं

ठंड के मौसम में गरीब और अकेले रह रहे बुजुर्गों की मुश्किलें कई गुना बढ़ जाती हैं।

स्वास्थ्य पर प्रभाव: ठंड के कारण हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं, खासकर उन लोगों में जो पहले से दिल की बीमारियों से पीड़ित हैं।

हड्डियों की समस्या: गठिया और हड्डियों में दर्द जैसी समस्याएं ठंड में गंभीर हो जाती हैं, जिससे बुजुर्गों के लिए चलना-फिरना कठिन हो जाता है।

भोजन और कपड़ों की कमी: पर्याप्त गर्म कपड़े और पोषक भोजन की अनुपलब्धता उनकी सेहत पर नकारात्मक असर डालती है।

मानसिक अकेलापन: अकेलापन और उपेक्षा का दर्द उनके जीवन को और अधिक कठिन बना देता है।


समाज कैसे निभा सकता है अपनी जिम्मेदारी

1. गर्म कपड़े और कंबल वितरण:
ठंड से बचाव के लिए गर्म कपड़ों और कंबलों का वितरण उन लोगों की मदद कर सकता है, जो ठंड में असहाय हैं।


2. सामूहिक भोजन आयोजन:
समाज के सक्षम वर्ग को चाहिए कि वे सामूहिक भोजन कार्यक्रम आयोजित करें। गर्म और पौष्टिक भोजन ठंड में सबसे अधिक जरूरी है।


3. स्वास्थ्य शिविर:
जिन बुजुर्गों को दिल और हड्डियों की समस्याएं हैं, उनके लिए स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित किए जाएं। इसमें डॉक्टर और स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद ली जा सकती है।


4. समय और सहानुभूति:
बेसहारा बुजुर्गों के साथ समय बिताएं, उनसे बातचीत करें और उन्हें यह महसूस कराएं कि वे अकेले नहीं हैं।

 

संवेदनशीलता बढ़ाने की जरूरत

आज के समय में हमें अपनी संवेदनशीलता को जगाने की जरूरत है। ठंड के इस कठिन समय में हमें अपने आसपास नजर दौड़ानी चाहिए और उन जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए, जो संघर्ष कर रहे हैं।

प्रेरक दोहे

"ठिठुरन में जब कांपे तन, दिखे गरीब की पीर।
गर्मी बांटें जो मानव, वही बने प्रवीर।"

"निर्धन को जो दे सहारा, सर्दी में जो बांटे प्राण।
सच्चा धर्म वही कहाएं, बनता है ईश्वर समान।"

समाज के लिए संदेश

ठंड के दिनों में आपकी छोटी-सी मदद किसी के लिए राहत का कारण बन सकती है। आपका एक कंबल, एक समय का भोजन, या थोड़ी-सी सहानुभूति किसी की जिंदगी बदल सकता है।
आइए, इस ठंड में मिलकर एक ऐसा समाज बनाएं, जहां कोई भी भूखा, ठंडा या बेसहारा न रहे।

"आओ मिलकर ठंड भगाएं, जरूरतमंद का सहारा बन जाएं।"

(लेखक: गोपाल गावंडे)
(संपादक, रणजीत टाइम्स)

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