अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष: श्री माता जी निर्मला देवी के सहज योग का अद्वितीय योगदान

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21 जून को विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य योग के महत्व को समझाना और इसे जीवन में शामिल करना है। योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति के लिए भी आवश्यक है। इस अवसर पर हम सहज योग की बात करेंगे, जिसे श्री माता जी निर्मला देवी ने स्थापित किया है।

सहज योग की स्थापना
श्री माता जी निर्मला देवी ने 1970 में सहज योग की स्थापना की। सहज योग एक ऐसी विधि है जो आत्म-साक्षात्कार के माध्यम से मनुष्य को उसकी आंतरिक शक्ति से जोड़ती है। सहज योग का अर्थ है 'प्राकृतिक' या 'स्वाभाविक' योग, जो हर व्यक्ति के भीतर विद्यमान कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत करने पर आधारित है।

श्री माता जी निर्मला देवी का योगदान
श्री माता जी निर्मला देवी का जन्म 21 मार्च 1923 को छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश में हुआ था। उनका असली नाम निर्मला सल्वे था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के लिए भी उन्हें सम्मानित किया गया था। उन्होंने सहज योग की तकनीक को सरल और सुलभ बनाया ताकि हर कोई इसे अपने जीवन में आसानी से अपना सके।

सहज योग के लाभ
सहज योग के अभ्यास से न केवल शारीरिक लाभ प्राप्त होते हैं बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति भी मिलती है। यह तनाव को कम करता है, मन को शांति प्रदान करता है और जीवन में संतुलन स्थापित करता है। नियमित अभ्यास से मनुष्य अपने भीतर की शक्ति और ज्ञान को पहचानने लगता है।

आत्म-साक्षात्कार का महत्व
सहज योग का मुख्य लक्ष्य आत्म-साक्षात्कार है, जो मनुष्य को उसकी आंतरिक शक्ति से जोड़ता है। आत्म-साक्षात्कार के माध्यम से व्यक्ति अपने वास्तविक स्वरूप को पहचानता है और एक उच्चतर चेतना की ओर अग्रसर होता है। यह एक ऐसी अवस्था है जहां व्यक्ति को शांति, आनंद और संतुलन का अनुभव होता है।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर संदेश
इस अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर हम सभी को योग के महत्व को समझना चाहिए और इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। सहज योग के माध्यम से हम न केवल अपने शारीरिक स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति भी प्राप्त कर सकते हैं।

श्री माता जी निर्मला देवी द्वारा स्थापित सहज योग एक अनमोल विधि है जो हमें आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाती है। इस योग दिवस पर हम सभी को इसे अपनाने और अपने जीवन में शांति और संतुलन स्थापित करने का संकल्प लेना चाहिए।

संपादक: गोपाल गावंडे
रणजीत टाइम्स

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