पार्श्वनाथ जिनालय में  श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान आयोजित

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हाटपीपल्या से संजय प्रेम जोशी की रिपोर्ट
हाटपीपल्या - सिद्ध प्रभु की आराधना के निमित्त श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान का आठ दिवसीय भव्य आयोजन पार्श्वनाथ जिनालय में संपन्न हुआ। सकल दिगंबर जैन समाज के तत्वावधान में इस  विधान के अंतर्गत प्रतिदिन शास्त्रोक्त विधि से मंत्रोच्चारण करते हुए ज्यामितीय अनुपात में अर्घ्य समर्पित किए गए।  विभिन्न इंद्र इंद्राणी के रूप में  विभिन्न पात्र विधान में सहभागिता कर रहे थे  संपूर्ण विधान का निर्देशन बाल ब्रम्हचारी चिद्रूप भैयाजी ने किया।
              विधान के अंतर्गत विभिन्न धार्मिक क्रिया - प्रक्रिया का परिपालन शास्त्रोक्त रीतिपूर्वक किया गया। इस अवसर पर सिद्धचक्र महामंडल विधान की चित्ताकर्षक संरचना भी की गई थी।  सुर एवं संगीत की सुमधुर घुन के बीच मंत्रोच्चार समूचे वातावरण को अलौकिक स्वरूप प्रदान कर रहा था। विभिन्न  श्रावक एवं श्राविकाएं भक्ति धुन पर  तन्मयतापूर्वक इष्ट की आराधना में डूबे नजर आ रहे थे। जिनालय परिसर में अदभुत दृश्य दिखाई दे रहा था।
             उल्लेखनीय है कि दिगंबर जैने श्रमण संस्कृति की महान परम्परा में उक्त विधान को अतिशयकारी  स्वरूप में भी माना जाता है।  विधान के दौरान भक्तामर विधान के अंतर्गत ऋद्धि सिद्धि मंत्रोच्चारण के साथ 21 भक्तामर मंडल रचे गए। प्रत्येक मंत्रोच्चार के पश्चात हर एक मंडल पर 48 दीप प्रज्वलित किए गए। इसके चलते जिनालय की छटा ही निराली प्रतीत हो रही थी।
             आयोजन को मूर्त रूप देने में सकल दिगंबर जैन समाज न्यास मंडल एवं पार्श्वनाथ जिनालय संचालन समिति सहित विभिन्न सहयोगी समितियों के पदाधिकारी तथा कार्यकारिणी के सदस्यों का अहम योगदान रहा।  सकल समाज की धार्मिक परम्परा में उक्त महामंडल विधान का आयोजन विगत कई दशकों से किया जाता रहा है। जिसमें समस्त समाजजन की उत्साहपूर्वक भागीदारी रहा करती है।

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