कहानी : धरती दिवस 2024: प्रकृति की रक्षा, हमारा संकल्प

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  • गोपाल गावंडे


एक छोटे से गांव केओलारी में, प्रीति नाम की एक युवा लड़की रहती थी। उसका गांव अक्सर सुखाद और हरित भूमि से घिरा रहता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, असंतुलित वर्षा और अव्यवस्थित कृषि क्रियाओं ने उसकी जमीन को बंजर बना दिया था। प्रीति ने महसूस किया कि इस परिवर्तन को रोकने के लिए कुछ करना ज़रूरी है।
इसी चेतना के साथ, प्रीति ने धरती दिवस के अवसर पर एक पहल शुरू की। उसने अपने गांव के बच्चों को एकत्र किया और उन्हें प्रकृति की महत्वपूर्णता समझाने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया। उसने सभी को बताया कि कैसे छोटे-छोटे कदम भी हमारे पर्यावरण को बचा सकते हैं, जैसे कि पानी की बचत करना, पेड़ लगाना और कचरे का सही प्रबंधन करना।
प्रीति ने गांव में एक बड़ा पेड़ लगाने का आयोजन किया। उसने हर एक व्यक्ति को एक-एक पौधा देने का निर्णय लिया और सभी से प्रतिज्ञा करवाई कि वे पौधों की देखभाल करेंगे और पर्यावरण की रक्षा में अपना योगदान देंगे।
इस छोटे से प्रयास से पूरे गांव में एक नई जागरूकता का संचार हुआ। प्रीति की पहल ने न केवल उसके गांव को हरित बनाया, बल्कि आस-पास के गांवों के लोगों को भी प्रेरित किया कि वे भी प्रकृति की रक्षा के लिए आगे आएं।
जैसे-जैसे समय बीता, प्रीति के गांव में हरियाली फिर से लौट आई और लोगों ने देखा कि पर्यावरण के प्रति उनकी छोटी-छोटी कोशिशें कैसे बड़े परिवर्तन ला सकती हैं। गांव के बच्चे, जो प्रीति की कहानी से प्रेरित हो चुके थे, अब अपने स्कूलों में पर्यावरण क्लब का हिस्सा बन गए थे। वे अन्य बच्चों को भी पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में सिखाने लगे।
इस प्रकार, प्रीति का प्रयास न केवल एक दिन की गतिविधि बन कर रह गया, बल्कि एक चलती फिरती प्रेरणा बन गया, जिसने नई पीढ़ी को भी पर्यावरण के प्रति सचेत किया। धरती दिवस पर शुरू किया गया यह छोटा सा कदम अब एक बड़े परिवर्तन की नींव बन चुका था।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि पर्यावरण के प्रति जागरूकता और उसकी रक्षा करने के लिए हमारे छोटे-छोटे प्रयास भी महत्वपूर्ण हैं। प्रीति की तरह, हर व्यक्ति का योगदान हमारी धरती को स्वस्थ और हरित बनाने में महत्वपूर्ण है।

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