कहानी: अंधेरे में उजाला

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एक गांव में रमेश नाम का एक युवक रहता था, जिसे पढ़ाई में बहुत रुचि थी, लेकिन उसके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। गांव में बिजली की भी समस्या थी, जिसके कारण रात में पढ़ाई करना मुश्किल होता था।
रमेश ने हार नहीं मानी और एक उपाय ढूंढ निकाला। उसने पुरानी बोतलों को इकट्ठा किया और उनमें पानी भरकर, उन्हें छत पर लगा दिया। दिन में सूरज की रोशनी बोतलों में से होकर प्रकाशित होती थी और घर के अंदर उजाला फैल जाता था। इस जुगाड़ से उसने न सिर्फ अपने घर को रोशन किया, बल्कि अपनी पढ़ाई भी जारी रखी।
रमेश की इस सृजनशीलता और जज्बे ने गांव के अन्य बच्चों को भी प्रेरित किया। इस छोटे से प्रयास से न केवल उसके जीवन में बल्कि पूरे समुदाय में एक बड़ा बदलाव आया।

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