कहानी : स्मार्ट वर्क बनाम हार्ड वर्क

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  • गोपाल गावंडे

एक छोटे से गांव में दो किसान रहते थे, रमेश और सुरेश। दोनों के पास समान रूप से खेती की जमीन थी, लेकिन उनके काम करने के तरीके में बहुत अंतर था।
रमेश हर रोज सुबह से शाम तक खेत में काम करता। वह बहुत मेहनती था और अपनी सारी ऊर्जा खेती में लगा देता। उसका मानना था कि कड़ी मेहनत ही सफलता की कुंजी है।
दूसरी ओर, सुरेश ने अपनी खेती की तकनीक में सुधार किया। उसने ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगाया, फसल चक्रीकरण की योजना बनाई, और खेती के लिए आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया। सुरेश का मानना था कि स्मार्ट वर्क ही वास्तव में मेहनत को सार्थक बनाता है।
फसल के मौसम में, सुरेश की उपज रमेश की तुलना में दोगुनी थी। रमेश ने यह देखकर हैरान था और सुरेश से उसकी सफलता का राज पूछा। सुरेश ने उसे अपने स्मार्ट वर्क के बारे में बताया।
रमेश ने इससे सीख ली और अगले सीजन में उसने भी सुरेश की तरह अपनी खेती के तरीके में सुधार किया। नतीजतन, उसकी भी उपज बढ़ गई और उसे अहसास हुआ कि स्मार्ट वर्क हार्ड वर्क की तुलना में अधिक फलदायी होता है।
नैतिक शिक्षा: 
यह कहानी हमें सिखाती है कि केवल कड़ी मेहनत ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि स्मार्ट तरीके से काम करना भी जरूरी है।

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