कहानी : शेर की हिम्मत
एक घने जंगल में, शेरों का एक समूह रहता था। इनमें से एक युवा शेर, अर्जुन, अपनी ताकत और साहस के लिए मशहूर था। लेकिन अर्जुन में एक कमी थी - उसे अपनी काबिलियत पर पूरा विश्वास नहीं था। वह हमेशा अपने आप पर शक करता था और सोचता था कि वह अपने पूर्वजों की तरह महान शेर नहीं बन पाएगा।
एक दिन, जंगल में एक बड़ा संकट आया। शिकारियों का एक समूह जंगल में आया और जानवरों को पकड़ने की कोशिश करने लगा। सभी जानवर डर के मारे इधर-उधर भागने लगे। शेरों के समूह ने एक बैठक बुलाई कि इस संकट का सामना कैसे किया जाए। अर्जुन भी वहां था, लेकिन वह चुपचाप बैठा रहा।
तभी, एक बुजुर्ग शेर, विक्रम, खड़ा हुआ और बोला, "अर्जुन, हमें तुम्हारी जरूरत है। तुम युवा और ताकतवर हो। तुम्हारी नेतृत्व क्षमता ही हमें इस संकट से बचा सकती है।"
अर्जुन ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि मैं यह कर सकता हूँ। मुझमें वह काबिलियत नहीं है।"
विक्रम ने मुस्कुराते हुए कहा, "अर्जुन, तुम शेर हो। तुम्हारे भीतर साहस और शक्ति का भंडार है। तुमने अब तक इसे पहचाना नहीं है। यह वक्त है कि तुम अपने भीतर छिपी शक्ति को पहचानो और उसका उपयोग करो।"
विक्रम की बातें अर्जुन के दिल में घर कर गईं। उसने सोचा कि अगर वह कोशिश नहीं करेगा तो कभी नहीं जान पाएगा कि वह क्या कर सकता है। उसने अपनी सारी हिम्मत जुटाई और शिकारियों का सामना करने के लिए तैयार हो गया।
अर्जुन ने अपने समूह को नेतृत्व दिया और शिकारियों को जंगल से बाहर खदेड़ने की योजना बनाई। उसने अपने साथियों को संगठित किया और सभी ने मिलकर शिकारियों का बहादुरी से सामना किया। आखिरकार, अर्जुन और उसके समूह ने शिकारियों को जंगल से बाहर निकाल दिया और जंगल में फिर से शांति स्थापित हो गई।
इस अनुभव ने अर्जुन को यह सिखाया कि हमारे भीतर ही असीमित शक्ति होती है, बस हमें उसे पहचानने और सही समय पर उसका उपयोग करने की जरूरत होती है। उसने यह भी समझा कि आत्मविश्वास और साहस से बड़ी से बड़ी चुनौती को पार किया जा सकता है।
अर्जुन अब एक महान शेर बन चुका था, जिसने न केवल अपनी काबिलियत को पहचाना बल्कि अपने साथियों के दिलों में भी एक विशेष स्थान बना लिया था।