सहजयोगी का हृदय महानता के अहंकार से मुक्त व प्रेममय होता है
सहजयोग की संस्थापिका आदिशक्ति श्री माताजी निर्मला देवी ने अपनी अमृतवाणी में कई बार दिशा निर्देशित किया है कि मनुष्य को सभी प्रकार के बंधनों से अर्थात कंडीशनिंग से स्वयं को मुक्त रखना चाहिए। तभी आप के तार परम चैतन्य से जुड़ सकते हैं यहां बंधन मुक्ति तथा अनुशासनहीनता में अंतर है वह हमें समझना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में अनुशासन अत्यंत आवश्यक है विशेषतः सहजयोगी के लिए। हमारा जीवन सदैव बहती हुई नदी के समान गतिमान होना चाहिए, ना की ठहरे हुए तालाब की तरह परंतु यह ध्यान रखना चाहिए कि नदी तभी तक नदी होती है जब तक वह किनारों के अनुशासन में रहकर अपने मार्ग में आने वाली हर छोटी बड़ी बाधा को सहज प्रकृति से स्वीकार करते हुए अंत में सागर से एकाकार हो जाती है।
कंडीशनिंग से श्री माताजी का तात्पर्य था कि हमें यह रंग पसंद है, तो यह खाना नापसंद है, हमें सोने के लिए निश्चित तरह का वातावरण अथवा बिस्तर चाहिए इत्यादि। इसके अतिरिक्त धार्मिक आडंबर को लेकर अपने व्यवसाय को लेकर रिश्ते नातों को लेकर हम अपने आप को अनेक सीमाओं में बांध लेते हैं, और यह सीमाएं हमारी अध्यात्मिक प्रगति में बाधा उत्पन्न करती है। कंडीशनिंग हमारे अहंकार के तुष्टीकरण का कारण बनती है।
श्री माताजी के पावन शब्दों में, "मुझे यह पसंद है, मुझे यह पसंद नहीं यह शब्द उपयोग नहीं किए जाने चाहिए।"
कंडीशनिंग में जीते-जीते हम सिर्फ स्वयं से प्रेम करने लगते हैं। अपनी सुविधा ही आपका लक्ष्य बन जाती हैं और आप महानता के अहंकार में फंस जाते हैं।
अतः श्री माताजी ने कहा है, "अहम की समस्या के कारण हम अत्यंत विघटित हैं छोटी-छोटी चीजों के विषय में यदि आपने अपना समय व्यर्थ करना है तो आप का विघटन बढ़ जाएगा। मुझे यह पसंद नहीं- मैं ऐसा नहीं करता- ऐसा मुझे दिखाई नहीं देता यह सभी निर्णय अहं के माध्यम से ही होते हैं।"
सहज योग द्वारा हम अपनी जीवनशैली में उपस्थित कंडीशनिंग को बहुत ही सहज रूप से जीत पाते हैं। कुंडलिनी जागरण द्वारा आत्म साक्षात्कार प्राप्त कर आपके लिए यह कार्य अत्यंत सहज हो जाता है तथा व्यर्थ के बंधनों से स्वयं को मुक्त पाकर हमारा हृदय प्रेममय, विशाल व प्रफुल्लित हो जाता है। हमारा जीवन आध्यात्मिक, पारिवारिक, व्यवसायिक तथा सामाजिक प्रत्येक क्षेत्र में प्रतिदिन नए-नए आयामों को छूने लगता है ।
अतः प्रत्येक व्यक्ति को जो अपने अस्तित्व के सत्य को जानना चाहता है, उसे सहज योग अपनाकर श्री माताजी द्वारा प्रदत्त इस अनमोल भेंट का लाभ अवश्य ही लेना चाहिए।
सहजयोग से संबंधित जानकारी टोलफ्री नंबर18002700800 एवं वेबस्थली www.sahajayoga.org.in से प्राप्त कर सकता है।