इंदौर में हिंदू महासभा ने लगाया कड़ा आरोप- "बच्ची के साथ हुए कुकर्म पर फास्ट-ट्रैक कोर्ट से सख्त सजा चाहिए"
अखिल भारत हिंदू महासभा के तत्वाधान में आज राजवाड़े पर भयंकर गूँज उठी। जिला अध्यक्ष एवं महामंडलेश्वर नेहा कंवर के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ता और हिंदू महासभा के ही सदस्य रहे किन्नर समाज के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में धरने पर बैठे और गुहार लगाई कि जिन पर आरोप हैं - राजा हाशमी नामक व्यक्ति के खिलाफ तुरंत और कड़क कार्रवाई की जाए। प्रदर्शनकारियों ने कमिश्नर, पुलिस और प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि मासूम बच्ची के साथ हुए कुकर्म की घटना ने समाज को झकझोर दिया है और आरोपित को फास्ट-ट्रैक कोर्ट के माध्यम से न्याय दिलाकर कड़ी से कड़ी सजा अखिल भारतीय महासभा की मांग के अनुसार मँगवायी जाए। साथ ही आरोपित के घर के सामाजिक व विधिक निवारण की भी माँग रखी गयी है।
मंच से ओजस्वपूर्ण संबोधन करते हुए नेहा कंवर ने कहा,“यह कोई सामान्य अपराध नहीं है,यह एक समाज के भविष्य के साथ छेड़छाड़ है। हम शांतिपूर्ण तरीके से न्याय की मांग कर रहे हैं। हमें चाहिए कि प्रशासन एक फास्ट-ट्रैक सुनवाई कराकर दोषी को दण्डित करे ताकि अगली पीढ़ी सुरक्षित रहे।” प्रदर्शनकारियों ने नारे बाबत लगाए और ज्ञापन में पीड़िता के परिजनों के साथ सुरक्षा, दोषी के विरुद्ध शीघ्र गिरफ्तारियाँ और त्वरित सुनवाई की मांगें लिखी गईं।
धरने में शामिल किन्नर समाज के प्रतिनिधियों ने भी अपनी पीड़ा शब्दों में व्यक्त की और कहा कि अपराध किसी धर्म, समुदाय या पहचान को नहीं पूछता; पीड़ित चाहे कोई भी हो सभी को बराबर सुरक्षा और न्याय मिलना चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन से सार्वजनिक रूप से जवाब मांगते हुए कहा कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो मजबूत लोकतांत्रिक और कानूनी दबाव के साथ आगे भी जाया जाएगा।
प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें
* तत्काल फास्ट-ट्रैक कोर्ट में मुक़दमा और त्वरित सुनवाई।
* आरोपित की सुनियोजित, पारदर्शी और पुख्ता जांच; साक्ष्यों की तेज फोरेंसिक जांच।
* पीड़िता और उसके परिवार को सुरक्षा व मनोवैज्ञानिक सहायता।
* दोष सिद्ध होने पर कानून के अनुसार कड़ी सजा और सामाजिक पुनर्वास के उपाय साथ ही आरोपित के घर के बारे में प्रशासनिक और न्यायिक निर्णय।
* जांच में पारदर्शिता हेतु स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों को सूचित रखना।
प्रशासन पर टिप्पणी स्थानीय प्रशासन और पुलिस से अब तक कोई आधिकारिक बयान स्थान पर मौजूद नहीं था; ज्ञापन सौंपने के बाद प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट समयसीमा में कार्रवाई की माँग रखी। अधिकारियो से उम्मीद है कि केस की संवेदनशीलता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई होगी और उन्हें सार्वजनिक तौर पर जानकारी दी जाएगी ताकि अफवाहों और ग़लतफहमियों से बचा जा सके।
कानून और समाज क्या है रास्ता? वक्त है कि अपराधियों के खिलाफ ठोस कानूनी कार्रवाई हो, मगर यह भी याद रखना जरूरी है कि आरोपों के आधार पर न्यायपालिका की प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए। प्रदर्शनकारियों की मांगें संवैधानिक और मानवीय दृष्टि से समझ में आती हैं, पर मृत्युदंड या किसी निजी बदले की माँगें तभी लागू हो सकती हैं जब न्यायालय साक्ष्यों के आधार पर निर्णय दे। इसलिए प्रशासन से आवश्यक है कि वह:
1. FIR का सार्वजनिक विवरण और जाँच की प्रगति साझा करे;
2. फास्ट-ट्रैक कोर्ट के लिए प्रकरण को प्राथमिकता दे;
3. पीड़िता व परिवार का संरक्षण सुनिश्चित करे;
4. जांच में पारदर्शिता और साक्ष्य-आधारित कदम उठाए।
समुदाय की जागरूकता
अब ज़िम्मेदारी भी आज का धरना सिर्फ आक्रोश तक सीमित नहीं था यह एक चेतावनी है। समाज के हर तबके और सरकारी मशीनरी दोनों की जिम्मेदारी बनती है कि बाल-सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए, स्कूलों और समुदायों में जागरूकता अभियानों को तेज किया जाए और घटनाओं के रिस्पांस प्रोसेस को बेहतर बनाया जाए ताकि पीड़ित को सहारा और दोषी को कानूनी दायरे में दण्ड मिल सके।

