कांग्रेस के इन दिग्गज नेताओं की चुनाव से बेरुखी का नतीजों पर भी दिखेगा असर
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की पहली लिस्ट आ चुकी है। इसमें राहुल गांधी के वायनाड सीट और शशि थरूर के तिरुअनंतपुरम से लड़ने का ऐलान हुआ है। अब तक राहुल गांधी के अमेठी से लड़ने पर तस्वीर साफ नहीं है। यही नहीं उनके अलावा कई ऐसे नेता हैं, जिनके नामों का अब तक ऐलान नहीं हुआ है। यही नहीं चर्चा है कि कमलनाथ, अशोक गहलोत जैसे कई बड़े नेता चुनाव में उतरना ही नहीं चाहते। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत में से कोई भी लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेगा। वहीं अशोक गहलोत के बेटे वैभव जालोर सीट से मैदान में उतर सकते हैं। हालांकि परिवार की सीट जोधपुर रही है।
इसके अलावा मध्य प्रदेश में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी उतरने के लिए तैयार नहीं हैं। उनकी जगह पर बेटे नकुल नाथ छिंदवाड़ा से लड़ेंगे। वहीं जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की चुनाव से बेरुखी का नतीजों पर भी असर दिखेगा। असल में यदि ये नेता चुनाव में उतरते तो एक माहौल बनता। खासतौर पर कठिन सीटों पर बड़े नेताओं के चुनाव लड़ने से पार्टी को माहौल बनाने में मदद मिलती। लेकिन नेताओं के डिफेंसिव रुख अपनाने से पार्टी की चिंता बढ़ गई है।
इस बीच सोमवार को कांग्रेस की चुनाव समिति की मीटिंग हुई। इसम मीटिंग में असम, गुजरात, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश की सीटों पर बात हुई है। राजस्थान, एमपी, गुजरात के अलावा उत्तराखंड में भी सीनियर नेता चुनाव में उतरने के इच्छुक नहीं हैं। हरीश रावत को पार्टी ने हरिद्वार से ऑफर दिया है, जबकि नेता विपक्ष यशपाल आर्य को कुमाऊं की दो सीटें ऑफर की गई हैं। लेकिन दोनों ही नेता चुनाव लड़ने का इरादा नहीं रखते। हरीश रावत तो चाहते हैं कि उनकी जगह पर बेटे को टिकट दे दिया जाए। इसकी वजह यह है कि वह अब राजनीति से संन्यास के मूड में हैं और अपने बदले में बेटे को सेट कराना चाहते है। टिहरी सीट से सीनियर नेता और विधायक प्रीतम सिंह को ऑफर मिला था, लेकिन उन्होंने भी इनकार कर दिया।
वरिष्ठ नेताओं के इस रुख से कांग्रेस में अंदरुनी कलह की भी स्थिति है। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष करण माहरा ने पार्टी हाईकमान से कहा है कि सीनियर नेताओं को जिम्मेदारी लेते हुए चुनाव में उतरना चाहिए। कठिन समय में ऐसा करने से एक अच्छा संदेश जाएगा। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि खुद अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी लोकसभा सीट नहीं लड़ना चाहते।
उनके नाम पर कलबुर्गा सीट को लेकर आम सहमति है, लेकिन वह यह सीट अपने दामाद को देना चाहते हैं। उनकी इच्छा है कि दामाद राधाकृष्णन डोड्डामणि को टिकट मिल जाए। हालांकि इस तरह वह कांग्रेस अधिवेशन में पारित प्रस्ताव का ही उल्लंघन करेंगे, जिसमें संकल्प लिया गया था कि किसी परिवार के एक ही मेंबर को लोकसभा या विधानसभा का टिकट मिलेगा।
साभार लाइव हिन्दुस्तान