सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े बढ़ा रहे प्रशासन की चिंता,  8 विशेषज्ञों की बनाई टीम

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इंदौर। इंदौर में तेजी से बढ़ते सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े प्रशासन की चिंता बढ़ाते जा रहे हैं। कलेक्टर आशीष सिंह और अन्य अधिकारी खुद शहर के ब्लैक स्पॉट का दौरा कर रहे हैं और विशेषज्ञों से हादसों में कमी लाने के लिए सलाह मांग रहे हैं। इस विषय पर कलेक्टर आशीष सिंह ने शहर के विशेषज्ञों की एक टीम भी गठित कर दी है। इस टीम की रिपोर्ट के अनुसार प्रशासन काम करेगा और सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने की कोशिश करेगा। यह भी माना जाता है कि सड़क दुर्घटना का कारण आमतौर पर लापरवाही होता है, मगर एक ही जगह बार-बार दुर्घटना हो तो मतलब साफ है कि ट्रैफिक इंजीनियरिंग में गड़बड़ है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए यह टीम बनाई गई है। 
कलेक्टर आशीषसिंह ने नए आदेश में आठ जानकारों को इस समिति में 'विशेष आमंत्रित सदस्य' नियुक्त किया है। इन सदस्यों में जीएसआईटीएस के पूर्व डायरेक्टर डॉ. ओपी भाटिया के साथ ही आर्किटेक्ट अतुल शेठ, एक्रोपॉलिश इंस्टिट्यूट के प्रो. शरद नाइक, संदीप नारुलकर, हिमांशु दूधवड़कर, दिलीप वाघेला, आरएस राणावत और प्रफुल्ल जोशी शामिल हैं। डॉ. भाटिया का तजुर्बा जहां प्रशासन के काम आएगा, वहीं आरएस राणावत ट्रैफिक के पुराने अफसर रह चुके हैं। वे न केवल ट्रैफिक के जानकार हैं, बल्कि बेहतरी के लिए हमेशा राय भी देते रहते हैं। आर्किटेक्ट अतुल शेठ तो खुद ही शहर में जहां भी पुल सड़क में गड़बड़ दिखे, आवाज उठाते हैं। इंदौर में प्रशासन से लेकर भोपाल तक बात पहुंचाने में पीछे नहीं रहते। रिंगरोड पर बनने वाला पुल हो, विजयनगर चौराहे का बिगड़ा ट्रैफिक हो, एमआर-4 के पुल की डिजाइन में गड़बड़ी हो या फिर मेट्रो रूट के नीचे बन रहे डिवाइडर... वे सवाल उठाते रहते हैं। जिम्मेदारों को जगाते रहते हैं। उनकी बात भी मानी जाती है। जहां अनदेखी होती है, वहां शहर खामियाजा भी भुगतता है। दिलीप वाघेला मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल से रिटायर हुए हैं। नौकरी के दौरान भी जहां वे प्रदूषण के मामले में हकीकत उजागर करते रहे, वहीं अब भी वे सक्रिय रहकर बात रखते हैं। आबोहवा सुधार के लिए क्या बेहतर हो सकता है, उनकी राय मायने रखती है। अतुल शेठ और दिलीप वाघेला दोनों ने ही जिला सड़क सुरक्षा समिति में शामिल किए जाने पर कहा कि उन्हें खुशी है कलेक्टर ने समिति में जगह दी। उनके भरोसे पर खरे उतरेंगे।
समिति में इन जानकार सदस्यों की जिम्मेदारी रहेगी कि जिले में दुर्घटनाओं को कम कैसे किया जाए। जिन जगहों पर बार-बार दुर्घटना होती है, वहां ट्रैफिक इंजीनियरिंग में क्या सुधार करना होगा... इस बारे में राय देंगे। अभी तक ब्लैक स्पॉट की पहचान तो कर ली जाती है, पर दुर्घटनाएं रोकने में प्रशासन नाकाम रहता है। दरअसल जरूरत मुताबिक सुधार नहीं हो पाता। अब एक्सपर्ट की राय से सूरत बदलने की उम्मीद है।
साभार अमर उजाला

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